रॉबर्ट वाड्रा से लगातार तीसरे दिन पूछताछ

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नई दिल्ली. रॉबर्ट वाड्रा शनिवार को तीसरे बार मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हुए. गौरतलब है कि इससे पहले छह और सात फरवरी को उनसे करीब लंबी पूछताछ की जा चुकी है.

विदेश में संपत्ति खरीदने में मनीलांड्रिंग से जुड़े एक मामले में आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा तीसरी बार ईडी के सामने पेश हुए. वाड्रा मध्य दिल्ली के जामनगर हाउस स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय में अपने निजी वाहन से सुबह करीब दस बजकर 45 मिनट पर पहुंचे.

इससे पहले उनसे छह और सात फरवरी को पूछताछ की गई थी. वाड्रा से पहली बार करीब साढ़े पांच घंटे और दूसरी बार करीब नौ घंटे तक पूछताछ की गई थी. माना जा रहा है कि पिछली बार पूछताछ के दौरान वाड्रा का “सामना उन दस्तावेजों से कराया गया जो एजेंसी ने मामले की जांच के दौरान हासिल या जब्त किये हैं. उनमें फरार रक्षा डीलर संजय भंडारी से जुड़े दस्तावेज भी शामिल हैं.

जानकारी के मुताबिक वाड्रा ने जांच अधिकारी के साथ दस्तावेज साझा किये तथा कहा कि जब उन्हें और दस्तावेज प्राप्त होंगे तो उन्हें भी साझा किया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों की पूछताछ में वाड्रा ने लंदन में अपनी किसी प्रॉपर्टी से इनकार किया है, जबकि प्रवर्तन एजेंसी का आरोप है कि वाड्रा ने विदेश में अवैध जायदाद खरीदने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग की है.

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 19 लाख पाउंड की विदेश में मौजूद अघोषित प्रॉपर्टी से जुड़ा है, जो कथित रूप से वाड्रा की है. ईडी की जांच के दौरान वाड्रा के करीबी मनोज अरोड़ा का नाम सामने आने के बाद अरोड़ा के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. लंदन की प्रॉपर्टी कथित रूप से भंडारी ने खरीदी और इसकी मरम्मत पर अलग से हुए खर्च के बावजूद इसे खरीदी गई कीमत पर ही 2010 में बेच दिया गया.

उनसे गुरुवार को भी इसी मामले में लंबी पूछताछ हुई. वाड्रा के साथ उनके वकीलों की पूरी टीम मौजूद थी. दावा है कि पिछले दिनों की पूछताछ में वाड्रा ने पूरी जानकारी नहीं दी है, इसलिए उनसे आगे की जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है. उनका जवाब प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया जाएगा. बताया जा रहा है कि वाड्रा को बीकानेर में एक भूमि घोटाले से संबंधित धन शोधन के मामले में जयपुर में 12 फरवरी को ईडी के समक्ष पेश होना है. राजस्थान उच्च न्यायालय ने उन्हें मामले में एजेंसी के साथ सहयोग करने के निर्देश दिए थे.