चमोली : भूवैकुण्ठाधिपति भगवान बदरीविशाल की पूजा शीतकाल हेतु नारद जी को सौंपकर उद्धव जी, कुबेर जी को पाण्डुकेश्वर के योग-ध्यान बदरी मन्दिर में पूजा हेतु विराजमान करके आज प्रातः 9:30बजे शुभ मुहूर्त में वेदोच्चारण पूर्वक शंकराचार्य जी की गद्दी ज्योतिर्मठ की ओर निकली , मध्य मार्ग में स्थित विष्णुप्रयाग तीर्थ में भगवान विष्णु की आरती संगम दर्शन कर नृसिंह मन्दिर मठाङ्गण परिसर में पहुंची । जहां पर वेदवेदांग महाविद्यालय के वैदिक छात्रों और क्षेत्र के श्रद्धालुओं द्वारा डोली का भव्य स्वागत किया गया फिर भगवान वासुदेव और नवदुर्गा भवानी सहित सभी देवी-देवताओं के दर्शन के अनन्तर लक्ष्मी मन्दिर के सामने परम्परानुसार भगवान की पञ्चाङ्ग पूजा ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में मुख्यपुजारी रावल श्री ईश्वरप्रसाद नम्बूदरी जी द्वारा सम्पन्न हुई । सभी विधि धर्माधिकारी श्री राधाकृष्ण थपलियाल जी और वेदपाठी रवीन्द्र भट्ट जी द्वारा सम्पादित की गई । पूजा के बाद आदिगुरु की गद्दी को उनके स्थान पर विराजमान किया गया ।
बदरीनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी श्री ईश्वरप्रसाद नम्बूदरी रावल जी ने सपरिकर पहुंचकर ज्योतिर्मठ में शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती जी महाराज के दर्शन किए । पूज्य शंकराचार्य जी महाराज और श्रीमान रावल जी के मध्य विविध आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा सम्पन्न हुई । इन सभी अवसर पर उपस्थित रहे सर्वश्री नायब रावल विश्वनाथ नम्बूदरी जी, प्रशासनिक अधिकारी राजेन्द्र चौहान जी, मन्दिर समिति के सदस्य भास्कर डिमरी जी, सहजानन्द ब्रह्मचारी जी, मुकुन्दानन्द, धरणीधर जी, कुशलानन्द बहुगुणा जी, वाणीविलास डिमरी जी, प्रदीप सेमवाल , अरविंद पंत जी, जगदीश जोशी जी, ऋषि सती, अमित सती, समीर डिमरी, गौरव नम्बूरी, आरती उनियाल, शिवानन्द उनियाल, भगवतीप्रसाद नम्बूदरी, प्रवीण नौटियाल, अभिषेक बहुगुणा, अनिल डिमरी, सुरेन्द्र दीक्षित, पवन डिमरी आदि उपस्थित रहे ।