देश की आजादी के लिए शहीद होने वाले भगत सिंह को फांसी देने के मामले में गवाहियां देने वालों के नाम जल्द सामने लाऐ जाएंगे। यह बात पाकिस्तान में भगत सिंह फाउंडेशन के चेयरमैन इम्तियाज रशीद कुरैशी ने रोपड़ में कही।
कुरैशी पूर्व संसदीय सचिव राना कंवरपाल सिंह के घर पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान उनके साथ फाउंडेशन के सीनियर वाइस चेयरमैन सूफी चुफेल नादीम, वकील मोमीन मलिक, जगदीश भगत सिंह, भगत सिंह की भांजी गुरजीत कौर व उनके पति हरभजन सिंह भी मौजूद थे।
कुरैशी ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को जिस एफआईआर के तहत फांसी की सजा दी गई थी, उसमें किसी का नाम दर्ज नहीं है। यह मामला अज्ञात व्यक्ति पर दर्ज था।
उन्होंने बताया कि 17 दिसंबर 1928 को सैंगरेस के कत्ल मामले में भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने गलत फांसी दी थी। वह अब इस केस को दोबारा खुलवाकर सचाई सामने लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार लाहौर के पास फांसी देने का अधिकार ही नहीं है।
इस केस में ब्रिटिश सरकार को शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के परिवारों से माफी मांगने के साथ मुआवजा भी देना चाहिए। कुरैशी व मलिक ने कहा कि इस केस में जिन लोगों ने गवाहियां दी थीं, वह उनके नाम भी आने वाले समय में सामने लगाएंगे। कुरैशी ने बताया कि इस मामले की सुनवाई पांच या पांच से अधिक जजों के पैनल से करवाई जानी है, जिसके लिए चीफ जस्टिस के पास फाइल पड़ी है।
उन्होनें कहा कि इस मामले में दुनिया भर में भगत सिंह से प्यार करने वाले लोग उनके संपर्क में है। इस दौरान उन्होंने भगत सिंह को फांसी दी जाने वाली एफआईआर भी पढ़ कर सुनाई और कहा कि भगत सिंह के केस को दोबारा खुलवाने का मकसद उन पर लगे इल्जाम को धोना है।
इस दौरान इम्तियाज राशीद कुरैशी ने कहा कि पंजाब में उन्हें अथाह प्यार मिला है जिसने उन्हें अपना बना लिया है। उन्होने कहा कि पाकिस्तान व भारत के बंटवारे का नुकसान सबसे जयादा दोनो देशों में रहते पंजाबियो को हुआ है। उन्होने बताया कि भगत सिंह के दादा अर्जुन सिंह द्वारा उनके(पाकिस्तान में) गांव में लगाया गया आम का पेड़ अभी भी फल दे रहा है तथा उनके द्वारा बनवाया गया स्कूल आज भी मोजूद है जो दो कमरों में चल रहा है।