नगर निकाय के चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी भी दिन हो सकता है। सीटों के लिए आरक्षण तय कर दिया गया है। आरक्षण तय होने के बाद पहले से तैयारी कर रहे कुछ दावेदारों के चेहरों पर मुस्कान है, तो कुछ के चेहरों पर इस लिए निराशा है क्योंकि सीट का आरक्षण उनके मुताबिक नहीं हुआ है। सीटों का आरक्षण तय होने के बाद अब दावेदारों की दौड़ और बड़े नेताओं की परिक्रमा शुरू हो गई है।
दावेदार अपने टिकट के लिए बिसात बिछाने लगे हैं। बड़े नेताओं के दर पर दस्तक बढ़ गई है। नेता भी अपने चहेतों को टिकट दिलाने के लिए जुगत में जुट गए हैं। पिछले कुछ सालों तक खुद को समाज सेवक बताने वाले अब अपने आप को नेता बताने लगे हैं।
नेताओं के करीबी इस उम्मीद में हैं कि उनके बड़े नेता उन्हीं की पैरवी करेंगे। फिर भी वो कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते। वो अपने नेता से भी बड़े नेता के दर पर दस्तक देने लगे हैं। यह बात अलग है कि नेता और बड़े नेता किसके पक्ष में दांव लगाते हैं।
बहरहाल इन दिनों नेता समाज सेवक और समाज सेवक नेता बने फिर रहे हैं। आरक्षण तय होने के बाद सोशल मीडिया में भी चुनावी माहौल बन रहा है। दावेदार अपने फोटो के साथ पोस्ट कर करके दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि, इनमें फिलहाल सभी केवल अपनी ही फोटो चस्पा कर रहे हैं। इन पोस्टों में अपने नेताओं से परहेज करते नजर आ रहे हैं।
अब इंतजार है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान कब होता है। तारीखों का ऐलान होने के बाद दावेदारों की टेंशन और नेता परिक्रमा और बढ़ जाएगी। टिकट की दावेदारी बढ़ जाएगी। जैसे-जैसे दावेदार बढ़ेंगे राजनीतिक दलों की टेंशन भी बढ़नी शुरू हो जाएगी। उनको भी टिकट तय करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
टिकट मिलने के बाद नाराजगी भी देखने को मिलेगी। पार्टियां पहले से ही इसके लिए प्लान तैयार करने में जुटी हुई हैं। भाजपा केदारनाथ चुनाव के बाद उत्साहित है। वहीं, कांग्रेस भी इस चुनाव में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर चुकी है। अब देखना होगा कि चुनाव में तैयारियां धरातल पर कितनी कारगर साबित होती हैं?