बैंक के दम पर भी मुश्किल हुआ आईआईटी में दाखिला

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आईआईटी काउंसिल में बीटेक पाठ्यक्रम की फीस में बारह गुना बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास हुआ तो बैंक के दम पर भी आईआईटी में दाखिला लेना मुश्किल होगा। बैंकों ने आईआईटी जैसे संस्थानों को ‘स्कॉलर’ की श्रेणी में रखा है।

इसका अर्थ आईआईटी में दाखिले के बाद बैंकों से आसानी से लोन मिल जाएगा लेकिन देश में पढ़ाई के लिए एसबीआई से अधिकतम 20 लाख रुपये ही शिक्षा ऋण लिया जा सकता है जबकि, बढ़ोतरी के बाद आईआईटी की फीस 24 लाख रुपये हो जाएगी। यानी, अधिकतम लोन लेने के बाद भी चार लाख रुपये कम रह जाएंगे।

इसके अलावा एसबीआई में एजुकेशन लोन पर ब्याज 11.30 प्रतिशत है। बीटेक चार साल का कोर्स है। फीस के लिए लोन हर साल लेना होता है। पढ़ाई के दौरान छात्र-छात्रा को लोन की किस्त जमा नहीं करनी होती लेकिन बैंक के अफसरों के अनुसार चार साल बाद ब्याज जोड़कर कर्ज की कुल राशि डेढ़ गुना से भी अधिक हो जाती है।

इस कर्ज की अदायगी अधिकतम 10 साल में करनी होती है। एसबीआई के चीफ मैनेजर अनिल सिन्हा कहते हैं, आईआईटी की फीस बढ़ने के बाद बैंक एजुकेशन लोन की अधिकतम सीमा बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो आईआईटी में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को 24 लाख रुपये लोन मिलने की उम्मीद बन सकती है लेकिन चार साल की पढ़ाई के बाद कर्ज की कुल राशि तकरीबन 36 लाख रुपये हो जाएगी।

यह कर्ज चुकाने के लिए हर महीने की किस्त 50,220 रुपये बनेगी, जो 10 साल तक देनी होगी। आरबीआई के नियमानुसार वेतन की अधिकतम 50 फीसदी राशि ही किस्त के रूप में काटी जा सकती है।

इस लिहाज से आईआईटी से पढ़ाई खत्म करने के साथ विद्यार्थियों को एक लाख रुपये से अधिक वेतन की नौकरी मिल जानी चाहिए। इतने बड़े पैकेज की नौकरी आईआईटी के कई विद्यार्थियों को ही मिल पाती है। ऐसे में फीस बढ़ोतरी के बाद बैंक से लोन लेकर भी आईआईटी में पढ़ाई मुश्किल होगी।
आईआईटी काउंसिल की ओर से फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो आईआईटी से बीटेक की चार साल की फीस 24 लाख रुपये हो जाएगी। नौकरी पेशा लोगों की बात करें तो देश में सबसे अधिक वेतन प्रोफेसर और आईएएस का है। फीस बढ़ोतरी के बाद इस तबके के लिए भी अपने बच्चों को आईआईटी में पढ़ाना आसान नहीं होगा।

जेके इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आरआर तिवारी और एक आईएएस अफसर की ऐसी ही पहली प्रतिक्रिया रही। ऐसे में अन्य लोगों को स्थिति को समझा जा सकता है। इस फैसले के बाद आईआईटी की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोगों के लिए ही आरक्षित हो जाएगी।