कोरो’ना वाय’रस संक्र’मण को रोकने के लिए लगे लॉ’कडा’उन के दौरान बैंक से लिये गए लोन की EMI में मोहलत दी गयी है और इसी मामले के दौरान EMI पर ब्याज लगाने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रिज़र्व बैंक से शुक्रवार को सवाल किया है कि क्या ब्याज पर भी मौहलत दी जा सकती है? और सूत्रों से बताया ये जा रहा है कि शीर्ष अदालत ने वित्त मंत्रालय और RBI के सभी अधिकारियों से तीन दिन के अंदर ही संयुक्त बैठक कर के ये फ़ैसला लेने को कहा कि क्या 31 अगस्त तक जो EMI पर मोहलत दी गई है उसके साथ ही क्या EMI पर दी गई मोहलत के साथ ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है? और सुप्रीम कोर्ट ने यह बात भी साफ तो पर कहीं है कि वो ब्याज टाल ने की बात कर रहा है मा’फ करने की बात नही कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय और RBI को आपस मे बैठक करी जाए। अदालत ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दोनों की बैठक का इंतजाम करें और बताया जा रहा है कि मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह कहा की लोन चुकाने के लिए दी गयी मोहलत के बाद EMI पर कुछ अधिक ब्याज दर नही ली जानी चाहिए।और अगर लोन तीन महीनों के लिए टाल दिया गया है, तो बैंको को दिए गए राशि में ब्याज, और ब्याज पर ब्याज नहीं जोड़ना चाहिए और सॉलिसिटर जनरल के द्वारा कोर्ट को जानकारी मिली है के इस हफ्ते के आखिर में RBI और वित्त मंत्रालय के साथ एक बैठक की जानी है। सूत्रों से पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार तक सुनवाई को रोक दिया है और कहा है कि यह सवाल ब्याज पर ब्याज तक सीमित है,बल्कि यह नही के ब्याज छह पहिने की बल्कि यह नही की EMI अधिस्थगन अवधी के लिए मा’फ किया गया है या नही और सूत्रों से यह बात पता चली है की SBI ने यह बात कही है कि सभी बैंकों का विचार यह है कि ब्याज छह महीने के अधिस्थगन अवधि के लिए मा’फ नही किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आर्थिक पहलू लोगों के स्वस्थ से बढ़ कर नही हो सकते और अदालत का यह भी कहना था कि ये कोई सामान्य समय नही है जो इस वक़्त चल रहा है।और जहा एक ओर EMI पर मोहलत दी जा रही है और ब्याज में कुछ भी नही और कहा ये ज़्यादा नुकसान वाली बात है। सुप्रीम कोर्ट का के आदेश था के एक हफ्ते के अंदर वित्त मंत्रालय और दूसरे पक्षकार RBI के जवाब पर हलफनामा दाखिल करें। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दो मुद्दे है कि क्या क्या दी गति मोहलत के दौरान EMI पर ब्याज से और ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा सकती है? और इस मामले में SG तुषार मेहता का ये कहना था कि वो वित्त मंत्री और दूसरे आला अधिकारियों के साथ मीटिंग कर कोई रास्ता तला’श करेंगे।
बताया ये जा रहा है कि कोरोना वाय’रस वैश्विक महामा’री को मद्देनजर रखते हुए RBI ने एक सर्कुलर 27 मार्च को जाती किया था, जिसमे सभी बैंको को तीन महीने के वक़्त के लिए किश्तों से भुकतान के लिए मोहलत दी गई थी और RBI ने 22मई को 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि को बढ़ाने की घोषणा की थी और इसका नतीजा ये हुआ के लोन पर ब्याज छह महीने के लिए ये मोहलत बन गयी और इस सब के बाद सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की गयी और उसमें कहा गया की बैंक EMI पर मोहलत देने के साथ साथ ब्याज और लगा रहे हैं जो कि पूरी तरह से गैर कानूनी है और इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI और केंद्र से जवाब मांगा था।
इस सबके बाद RBI ने सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दायर कर के 6 महीने की मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग को भी गलत बताया था ।और RBI ने ये बात भी स्पष्ट की है के वह 6 महीने का EMI अभी ना देकर बाद मे दे सकते है लेकिन अगर इस अवधि का ब्याज भी नही लिया गया तो बैंक को 2 लाख करोड़ का नुक’सान उठाना पड़ सकता है और ये भी बतया जा रहा है कि अभी ब्याज नही लगाया गया तो बाद में EMI पर ब्याज और भी बढ़ जाएगा और बैंकौं व वित्तीय संस्थानों के लिए ब्याज ही आय का स्त्रोत है।