गत अगस्त महीने में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन-शोधन रोधी क़ानून से जुड़े एक मामले में रैनबैक्सी फार्मा समूह के पूर्व प्रवर्तकों मलविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह के परिसरों पर छापेमारी की कार्यवाही की थी। अधिकारियों ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज होने के बाद यह छापेमारी की कार्यवाही की गई थी। बता दें कि रेलिगेयर फिनवेस्ट की शिक़ायत पर कार्यवाही करते हुए आर्थिक अपराध शाखा द्वारा ठगी और धोखाधड़ी के आरोप में दोनों भाइयों को गिरफ़्तार किया गया है। जिसमें पंजाब से मलविंदर सिंह और दिल्ली से शिविंदर सिंह को पकड़ा गया है।
उल्लेखनीय है कि आर्थिक अपराध शाखा की डीसीपी वर्षा शर्मा ने जानकारी दी है कि पुलिस ने शिविंदर सिंह, सुनील गोडवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को आईपीसी की धारा 420 और 409 के अंतर्गत गिरफ़्तार किया है। बता दें कि 2008 में दाइची सेंक्यो ने रैनबैक्सी को ख़रीदा था। बाद में दाइची सेंक्यो ने सिंगापुर पंचाट में सिंह बंधुओं मलविंदर और शिविंदर सिंह के ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज कराई थी, कि सिंह भाइयों ने रैनबैक्सी के ख़िलाफ़ अमेरिका के खाद्य एवं औषधि विभाग की जांच की बात छुपाई थी।
इस मामले में सिंगापुर के एक न्यायाधिकरण में सिंह बंधुओं को दाइची सेंक्यो को 4 हज़ार करोड़ रुपए का भुगतान करने का फ़ैसला सुनाया था। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को दोनों भाइयों को भुगतान के संबंध में एक ठोस योजना पेश करने का आदेश दिया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि अब दाइची सेंक्यो को भुगतान करने को लेकर सिंह भाइयों के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्रवाई की सुनवाई की जाएगी।
साथ ही पीठ ने कहा कि यदि किसी आदेश की अवहेलना पाई गई, तो दोनों भाइयों को जेल भेज दिया जाएगा। पीठ ने सिंह भाइयों से कहा कि उनके पास इस बारे में कोई ठोस योजना नहीं है कि पंचाट के फ़ैसले की राशि कहां से लाएंगे। पीठ ने सिंह बंधुओं से कहा कि, “आपने कहा कि किसी के पास आपके 6 हज़ार करोड़ रुपए बकाया हैं लेकिन यह राशि ना यहां है ना वहां है। बता दें कि पीठ ने अवमानना की सुनवाई की तारीख़ 11 अप्रैल तय की है।