कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के सदस्य गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) का कार्यकाल आगामी 15 फरवरी को समाप्त हो गई। बता दें कि वर्ष 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई, तब कांग्रेस ने उन्हें यह पद दिया था। उन्होंने अपने इस पद की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से निभाई। उनके रिटायर होने बाद अब फिर एक बार कांग्रेस में बगावत होने का खतरा है। जानकारी के मुताबिक बीते साल सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 विधायकों में से कुछ विधायक फिर एक बार 1 होने का विचार कर रहे हैं।
गौरतलब हैं कि इस बार युद्धभूमि दिल्ली नहीं, बल्कि जम्मू होगी। जम्मू आजाद की कर्मभूमि रही है और साथ ही इस जगह को बगावत के लिए बिल्कुल सही माना जा रहा है। पार्टी से नाराज़ चल रहे नेताओं में से एक आज़ाद भी हैं। उनके अलावा कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, विवेक तन्खा, अखिलेश प्रसाद सिंह, मनीष तिवारी और भूपिंदर हुड्डा भी हैं। ये सभी बागी जम्मू में मुलाक़ात करेंगे। इस मुलाकात से एक बात तो साफ है कि ये पार्टी के सामने हिम्मत और एकता का संदेश होगा।
बता दें कि डीएमके के काम को अच्छी तरह से समझने वाले आजाद को सीट बंटवारे पर बातचीत के लिए नहीं भेजा गया था। जिसके चलते वह पार्टी से नाराज़ थे। इसके साथ ही पार्टी ने यह ज़िम्मेदारी रणदीप सुरजेवाला को सौंप दी। जिससे भूपिंदर हुड्डा की नाराजगी और भी ज़्यादा बढ़ गई। वहीं आनंद शर्मा के राज्यसभा कार्यकाल में एक वर्ष का ही समय बचा है। उन्हें विपक्ष के नेता पद के लिए नजरअंदाज कर दिया गया। जिसको लेकर वह भी पार्टी से नाराज़ हो गए।