रेल मंत्री ने 9 राज्यों के मख्यमंत्रियों को लिखा पत्र, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में…

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रेल मंत्री (Railway Minister) पीयूष गोयल द्वारा नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) परियोजना में अड़चनों को दूर करने का आग्रह किया गया और कहा कि, प्रधानमंत्री परियोजना पर करीबी नजर रख रहे हैं। पीयूष गोयल द्वारा 9 मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में भूमि संबंधी मुद्दों, ग्रामीणों की मांगों और राज्य के अधिकारियों द्वारा धीमी गति से काम करने का मामला उठाया गया, जिनसे 81,000 करोड़ रुपये की डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना का काम प्रभावित हुआ है। मुख्यमंत्रियों से इस मामले में रेल मंत्री ने हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से उठाई गई चिंताओं के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्रों में कहा गया कि, कैसे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ‘लंबे समय से लंबित मुद्दा’ बना हुआ है जिसका अभी तक समाधान नहीं हुआ है।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव के मुताबिक़ वर्तमान में दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर निर्माणाधीन है- पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) जो उत्तर प्रदेश से मुंबई तक और पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) जो पंजाब के लुधियाना से पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक है। इन कॉरिडोर का काम दिसम्बर 2021 तक पूरा किया जाना था। लेकिन अब इस तिथि को छह महीने आगे यानी जून 2022 तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने बताया कि, कोरोना वायरस महामारी के कारण काम में व्यवधान के कारण देरी हुई।

मंत्री द्वारा खास तौर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर उनके राज्य में आ रही परेशानियों का समाधान करने का आग्रह किया गया है। उत्तर प्रदेश में डीएफसी का दायरा एक हजार किलोमीटर से ज़्यादा है। पीयूष गोयल द्वारा अपने पत्र में कहा गया कि, “प्रधानमंत्री ने परियोजना की प्रगति की बारीकी से निगरानी की है। डीएफसी 1,000 किलोमीटर से अधिक उत्तर प्रदेश राज्य से होकर गुजरती है। हालांकि, भूमि अधिग्रहण और आरओबी निर्माण से संबंधित कुछ मुद्दे अभी भी कायम हैं, जिन्हें तत्काल हल करने की आवश्यकता है ताकि लक्षित समय के भीतर परियोजना का काम पूरा हो सके।”

उन्होंने रेलवे के अड़े आ रही कुछ परेशानियों के बारे में बताया की, जिनमें पुलों पर लंबित सड़क (आरओबी), आंदोलन के कारण मुजफ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर जैसे क्षेत्रों में भूमि को कब्जे में लेने में बाधा, ग्रामीणों द्वारा मुआवजे और नौकरियों की मांग, उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा पट्टा किराए की अनुचित मांग और मिर्जापुर जिले में आरओबी के निर्माण को लेकर ग्रामीणों द्वारा विरोध आदि शामिल हैं। पीयूष गोयल द्वारा पत्रों में उन सभी मुद्दों को उठाया गया है जिनका राज्यों में विशिष्ट क्षेत्रों में रेलवे द्वारा सामना किया जा रहा हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा गया, “हालांकि विभिन्न जिलों में लंबित मध्यस्थता और भूमि के कब्जे में बाधाएं आदि में देरी से परियोजना के काम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आप इस बात को समझेगी कि परियोजना के काम को शुरू करने के लिए इन बाधाओं को दूर करना आवश्यक है।”