इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल (MGM) मेडिकल कॉलेज में 5 महीने पहले एक रैगिंग का मामला सामने आया था। इस मामले में जब कॉलेज और विश्वविघालय अनुदान आयोग से कोई भी मदद नहीं मिली तब पुलिस ने अपने अंदाज में आरोपियों को पकड़ने का एक प्लान तैयार किया। पुलिस ने अपने खुफिया टीम को स्टूडेंट बनाकर कॉलेज में भेजा और पांच महीने की मशक्कत के बाद टीम रैगिंग करने वालों तक पहुंची।
पुलिस को रैंगिंग की जांच के दौरान कुछ भी हाथ नहीं लगा तो टीम ने एक अलग तरीका अपनाया। 24 वर्षीय अंडरकवर पुलिस शालिनी चौहान को पुलिस ने MGM कॉलेज में एक फ्रैशर स्टूडेंट बनाकर भेजा। इश दौरान शालिनी सबकी नजरों में एक आम फ्रैशर स्टूडेंट बनकर रही और रोज कैंटीन में जाकर वहां मौजूद दूसरे स्टूडेंट से बातचीत करती।
धीरे-धीरे रैंगिंग के बारे में जिक्र करने लगी और इसी में शालिनी ने उन सभी सीनियर्स के नाम का पता लगा लिया जो रैंगिंग में शामिल थे। शालिनी की चालाकी और समझदारी से एमजीएम कॉलेज के 6 डाक्टरों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी पर जूनियर के साथ रैंगिंग और तरह-तरह से परेशान करने का आरोप लगा है। पुलिस को उन सभी सीनियर्स छात्रों के नाम पता करने के लिए ऐसा तरीका अपनाना पड़ा था।
शालिनी भी पुलिस फोर्स में भर्ती हुई। शालिनी कॉमर्स ग्रेजुएट हैं और इस केस की जांच करने के लिए वो बिल्कुल एक आम स्टूडेंट की तरह तैयार होकर रोजाना कॉलेज जाती थी। इस दौरान वो जींस-टॉप पहनकर बैग में किताबें रखकर एक फ्रैशर स्टूडेंट की तरह पेश आती थी। शालिनी रोज कैंटीन में 5 से 6 घंटे का समय बिताती थी और इस दौरान वो कैंटिन में मौजूद सभी छात्रों से हंसी-मजाक के साथ बात करती रहती थीं।
पुलिस ने बताया कि सिनियर्स गूगल लोकेशन भेज अपने निजी फ्लैट पर जूनियर्स को बुलाते थे और परेशान करते थे। छात्रों ने इसी डर से सीधा यूजीसी को शिकयत की और मेल के जरिए बताया कि आरोपित सिनियर्स उन्हें प्रताड़ित करते हैं और आपत्तिजनक सामाग्री पर छात्राओं के नाम लिखवाते हैं। सिनियर्स रोजाना जूनियर्स को शेविंग करने के लिए बुलाते थे। बात करते वक्त आँखे नीचे झुका कर रखना पड़ता था। यहां तक की जूनियर्स को तकिय के साथ वक्त गुजारने का दबाव बनाया जाता था। इस मामले को यूजीसी ने गंभीरता से लिया और पुलिस में एफआइआर दर्ज कराया।