अधर में लटका चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, इसी महीने चंद्रमा पर भेजा जाना था

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-6 ए का पिछले महीने पृथ्वी से संपर्क टूट जाने के कारण इसरो को बड़ा झटका लगा था। इसीलिए इसरो अपने महत्वपूर्ण अंतरग्रहीय मिशन चंद्रयान -2 को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरत रहा है। इसरो की पूर्व में दी गयी जानकारी के अनुसार चंद्रयान -2 को इसी महीने भेजा जाना था लेकिन नयी सूचना के मुताबिक इसे इस साल के अंत तक के लिए टाल दिया गया है। चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण इस साल अक्तूबर-नवंबर में श्रीहरिकोटा से किए जाने की संभावना है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि एक बैठक के दौरान इसरो के प्रमुख के सिवन ने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (जो अंतरिक्ष विभाग का कामकाज देखते हैं) को आगामी चंद्रयान-2 मिशन के बारे में सूचित किया।
सूत्रों के अनुसार खबर है कि चंद्रयान-2 की समीक्षा के लिए गठित राष्ट्रीय स्तर की समिति ने मिशन के प्रक्षेपण से पहले कुछ अतिरिक्त परीक्षणों की सिफारिश की है। उन्होंने बताया कि सावधानी बरतने के लिहाज से ऐसा किया जा रहा है क्योंकि चंद्रयान-2 इसरो का पहला अंतर-ग्रहीय मिशन होगा जो किसी खगोलीय पिंड पर रोवर (यान) उतारेगा। महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 एक ‘लैंड-रोवर’ और ‘प्रोब’ से लैस होकर चांद की सतह पर उतरेगा और फिर वहां से वे मिट्टी, पानी वगैरह के नमूने इकट्ठा करेगा ताकि विस्तृत विश्लेषण एवं शोध के लिए उन्हें पृथ्वी पर लाया जा सके। यह चंद्रमा पर अपनी तरह का पहला मिशन होगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ‘रोवर’ को उतारा जायेगा जिसे काफी दुर्गम क्षेत्र माना जाता है। वहां करोड़ों साल पहले निर्मित चट्टानें हैं। अन्य देशों के चंद्र मिशनों में इस पहलू का अध्ययन अब तक नहीं किया गया है। चंद्रयान-2 से पहले इसरो ने चंद्रमा पर चंद्रयान-1 और मंगल ग्रह पर मंगलयान मिशनों को सफलता पूर्वक पूरा किया था।
चंद्रयान-2 मिशन की कुल लागत 800 करोड़ रुपये है जिसमें 200 करोड़ रुपये प्रक्षेपण और 600 करोड़ रुपये उपग्रह पर खर्च होने हैं। इसरो प्रमुख के सिवन ने मंत्री को बताया, ‘यह लागत 1,500 करोड़ रुपये की लागत के करीब आधी है जो तब खर्च हुई होती जब ऐसे ही मिशन को किसी विदेशी प्रक्षेपण स्थल से प्रक्षेपित किया गया होता।