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पहाड़ों पर स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा से ही बदहाल रही है।
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मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कंधों पर ढोना पड़ रहा है।
चमोली: पहाड़ों पर स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा से ही बदहाल रही है। पहाड़ी बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है। लोगों को आज भी मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कंधों पर ढोना पड़ रहा है। जबकि सरकार का दावा है कि उन जगहों से बीमारों को कंडी से लाया जाएगा, जहां तक सड़क नहीं जा पाती है। विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसा नजारा दिखा भी, जहां असमर्थ लोगों को पोलिंग बूथ पहुंचाया गया। सवाल यह है कि जब वोट के लिए सरकार व्यवस्था कर सकती है, तो फिर मरीजों के लिए क्यों नहीं कर सकती?
चमोली के देशोली ब्लॉक के दूसरस्थ इराणी गांव की बीमार महिला को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने डंडी का सहारा लेना पड़ा। गांव की बिमला देवी बीमार हो गई थी। हालत ज्यादा बिगड़ने पर ग्रामीण उनको डंडी-कंडी के सहारे पांव किलोमीटर पैदल चलकर गोपेश्वर अस्पताल पहुंचाया।
ईराणी गांव के लोगों का कहना है कि इन दिनों सड़क और गांव के सारे रास्ते बंद हो गई हैं। ऐसे में बीमार महिला बिमला देवी को अतिरिक्त पांच किलोमीटर पैदल चलकर डंडी-कंडी से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि बिरही निजमुला मोटर मार्ग भी जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने के चलते ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मरीजों को कंधों पर ढोने की तस्वीरें आए दिन पहाड़ों से सामने आती रहती हैं। लगातार इस तरह के मामले सामने आने से स्वास्थ्य विभाग के उन दावों की भी पोल खुलती है, जिनमें यह कहा जाता है कि डंडी/कंडी 108 भी लोगों को अस्पताल पहुंचाने का काम करेगी, लेकिन यह सारे हवाई दावे हैं।