मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में तीनों पीठों के शंकराचार्यों ने लगाई पवित्र डुबकी

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प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के ऐतिहासिक अवसर पर आज मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर मध्याह्न के अभिजित मुहूर्त में शुभ चौघड़िया और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में त्रिवेणी संगम की विशेष पूजा-अर्चना संपन्न हुई। इसके उपरांत सनातन परंपरा के तीनों प्रमुख पीठों के पूज्य शंकराचार्यों ने एक साथ पवित्र त्रिवेणी संगम में धार्मिक स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

एकता और सनातन संस्कृति का भव्य संगम

पूज्यपाद श्रृंगेरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती जी महाराज, पूज्यपाद द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज, परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ‘1008’ जी महाराज ने एक साथ त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। यह क्षण केवल आध्यात्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि सनातन परंपरा और धर्म की अखंडता के दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक और अनुपम था।

मौनी अमावस्या: मोक्ष प्राप्ति का विशेष पर्व

मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सप्तर्षियों ने पहली बार मौन व्रत रखा था, जिससे इस दिन को “मौनी अमावस्या” कहा जाता है।

श्रद्धालुओं का विशाल सैलाब

इस अवसर पर प्रयागराज के कुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं का विशाल जनसैलाब उमड़ा। संगम तट पर सनातन धर्म की दिव्यता देखते ही बन रही थी। पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया और संत-महात्माओं के प्रवचनों का लाभ उठाया।

धार्मिक आस्था और सनातन परंपरा की अनुपम झलक

महाकुंभ के इस विशेष स्नान में, शंकराचार्यों के साथ विभिन्न अखाड़ों, संत समाज और धर्माचार्यों ने भी त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। शास्त्रों के अनुसार, जब सनातन धर्म के प्रमुख संत एक साथ संगम स्नान करते हैं, तो इससे धर्म की अखंडता और एकता का संदेश समस्त विश्व में जाता है।

महाकुंभ 2025: सनातन धर्म की शक्ति और एकता का प्रतीक

महाकुंभ 2025 के इस पावन अवसर पर तीनों पीठों के पूज्य शंकराचार्यों का एक साथ स्नान करना सनातन धर्म के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह न केवल भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक है, बल्कि सनातन धर्म की अखंडता, शक्ति और संपूर्ण विश्व के कल्याण की भावना को भी दर्शाता है।

“सनातन धर्म का शाश्वत प्रकाश

महाकुंभ में श्रद्धालुओं को यह दुर्लभ दृश्य देखने का अवसर मिला, जब सनातन धर्म के तीनों प्रमुख पीठों के शंकराचार्य एक साथ संगम स्नान कर धर्म और अध्यात्म का दिव्य प्रकाश फैलाते नजर आए। इस दिव्य अवसर को कैमरों में कैद किया गया, जिससे यह ऐतिहासिक क्षण सदियों तक याद रखा जाएगा।