नीतीश कुमार द्वारा उठाए गए कदम की आलोचना आज भाजपा का हर एक सदस्य कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, बिहार की सरकार में हुए बदलाव का कारण भाजपा के ही कुछ नेता हैं। भाजपा के इन नेताओं ने नीतीश को पार्टी बदलने के लिए मजबूर किया है। इनमें गृह मंत्री अमित शाह का भी नाम शामिल है। पार्टी के नेताओं ने नीतीश कुमार को इतना उकसा दिया की उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी और राजद के साथ जा मिले। आपको बता दें कि इन नेताओं में पहले नाम केंद्रीय मंत्री और बिहार के लंबे समय तक प्रभारी रहे भूपेन्द्र यादव का है।
उन्होंने नीतीश के खिलाफ काफी साजिशे रची हैं। वह अक्सर नीतीश को कमजोर दिखाने की कोशिशें किया करते थे। जिससे नीतीश नाखुश रेहते थे। ये भी एक वजह है जो नीतीश के पार्टी छोड़ने में उनका हाथ हैं। दूसरा नाम केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का है। भाजपा के साथ 2020 में जब नीतीश की सरकार बनी तबसे ही नित्यानंद का कहना है कि नीतीश कुछ पल के मेहमान हैं और वह उनकी जगह मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे। उनका पूरा गुट नीतीश सरकार को हमेशा निशाने पर रखता था।
तीसरा नाम डॉक्टर संजय जायसवाल का है। नीतीश को एनडीए से अलग करने के एक जिम्मेदार संजय जायसवाल भी हैं। हालांकि वह सहयोगी दल के अध्यक्ष हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा ही नीतीश सरकार के सामने विपक्ष का रोल निभाया है। नीतीश के हर फैसले का वह विरोध किया करते थे। जिससे नीतीश काफी गुस्से में रहते थे। वह हर एक मुद्दे पर नीतीश के खिलाफ रहते थे और ये एक बड़ा रीजन है नीतीश के एनडीए को छोड़ने का।
इसके अलावा विजय कुमार सिन्हा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी एनडीए की सरकार गिराने में बड़ा हाथ है। उन्होंने शुरू से ही नीतीश की सरकार को कमजोर बनाने की कोशिश की है। वह ऐसे फैसले लिया करते थे, जिसका हर्जाना नीतीश कुमार की सरकार को देना पड़ता था। अमित शाह ने चिराग पासवान के माध्यम से नीतीश कुमार के विधायकों की संख्या कम करने का एक नायाब तरीका खोजा, जिसके सफल होने से पहले ही नीतीश कुमार ने पार्टी बदल ली।