मिथुन चक्रवर्ती को मिला दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

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आज 8 अक्टूबर को बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। भारतीय सिनेमा की दुनिया के सबसे सम्मानित अवॉर्ड्स समारोह ’70वें नेशनल फिल्‍म अवॉर्ड्स’ के दौरान एक्टर को सम्मानित किया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों उन्हें सम्मानित किया गया है। करीब 350 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके मिथुन ने अपनी अदाकारी से पूरे भारत में अपना नाम रोशन कर चुके हैं मिथुन। अवॉर्ड के लिए जाते हुए एक्टर ने इस सम्मान पर खुशी जताते हुए कहा, ‘अभी तक इसे स्वीकार नहीं कर पाया हूं, अभी तक उसी खुमार में हूं लेकिन इतनी बड़ी इज्जत…थैंक यू बोल सकता हूं भगवान को। जितनी तकलीफें उठाई भगवान ने शायद मुझे सूद के साथ उसे वापस कर दीं।

मिथुन ने इस अवॉर्ड को पाकर खुशी जताते हुए कहा, ‘डायलॉग देते तो पढ़ देता, स्‍पीच देने को बोला है, क्‍या बोलूंगा कुछ समझ नहीं आ रहा है। बस इतना ही कहूंगा कि इस मंच पर मैं पहले तीन बार आ चुका हूं आपलोगों की दुआ से। लेकिन सबसे पहली बार जब मिला था नेशनल अवॉर्ड तो उसके इतने किस्‍से हैं कि मैंने क‍िसी को नहीं बताए हैं।

जब वो मिला तो लोग कहने लगे कि अरे आपको नेशनल अवॉर्ड मिला। तो मेरा दिमाग खराब हो गया कि मैंने कुछ बड़ा कर दिया। नेशनल अवॉर्ड म‍िलने के बाद दिमाग तो खराब हो गया था। मैं खुद को अल पचीनो समझने लगा। मैं डायरेक्‍टर-प्रोड्यूसर के ऑफिस में जाकर ऊबासी लेने लगा था। मैं कहता था कि फिल्‍म की स्‍टोरी मेरे घर भेज देना। फिर एक प्रोड्यूसर ने मुझे मारा एक लात और बोला कि निकल यहां से। फिर समझ में आया कि अब कोई काम नहीं देगा।

मुझे एक्‍टर तो सबने बाद में मान लिया। लेकिन, मेरे रंग के कारण लोगों ने मुझे खूब ताने मारे। लोग राह चलते मुझे कालिया बुलाते थे। मैंने सोचा कि रंग तो बदल नहीं सकता। मैंने भगवान से कहा कि भगवान रंग तो नहीं बदल सकता। तो मैंने डांस करना शुरू किया, अपने पैरों को रुकने नहीं दिया। लोग मेरे रंग को भूल गए और मैं बन गया डस्‍की, बंगाली बाबू।

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं भगवान से बहुत श‍िकायत करता था कि तुमने नाम दी, शोहरत दी पर इतनी तकलीफ क्‍यों दे रहा है। क्‍योंकि मुझे सब मिला तो नहीं कुछ भी थाली में परोसकर नहीं मिला। लेकिन आज इस अवॉर्ड के मिलने के बाद मैंने श‍िकायत करना छोड़ दिया। थैंक यू भोलेनाथ। कोलकाता में मेरा एक पुराना मंदिर है। कितने साल मैंने उस मंदिर का सेवा किया। मैंने उनको थैंक यू कहा, क्‍योंकि भगवान आपने मुझे सूद के साथ सब वापस कर द‍िया।