देश में कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए लगातार लॉकडाउन को बढाने से आर्थिक व्यवस्था पर निश्चित ही प्रभाव पड़ रहा है।ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में कारखानों के कामों को तेजी से शुरू करने के लिए श्रम कानून में बदलाव करने का फ़ैसला लिया गया था। इसके तहत रजिस्टर्ड कारखानों में युवा श्रमिकों को कुछ शर्तों के साथ 1 दिन में 12 घंटे काम करने का नियम बनाया गया था। इस अधिसूचना को जारी करने के हफ्ते भर बाद ही यूपी सरकार ने इसे निरस्त कर दिया है।
दरअसल,कुछ दिन पहले यूपी सरकार की इस अधिसूचना को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी, जिस पर 18 मई को अगली सुनवाई होनी है।ज्ञात हो कि,आरएसएस के भारतीय मज़दूर संघ ने नए श्रम कानून को मज़दूर विरोधी बताया था।संगठन के प्रवक्ता ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय अधिकारों का उल्लंघन है और इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।साथ ही संगठन ने इस फैसले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की धमकी दी थी। ऐसे ही तमाम विरोध के बाद योगी सरकार ने याचिका को निरस्त कर दिया।
बता दें आपकों कि,8 मई को उत्तर प्रदेश के श्रम विभाग की ओर से रजिस्टर्ड कारखानों में काम करने वाले युवा श्रमिकों के कार्य अवधि बढ़ाई गई थी।जिसके मुताबिक कारखाने में युवा श्रमिक से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे और एक हफ्ते में 72 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा।हालांकि इसके निरस्त किए जाने के बाद अब एक दिन में अधिकतम आठ घंटे और एक हफ्ते में 48 घंटे काम कराने का पुराना नियम फिर प्रभावी हो गया।