विश्व व्यापक आर्थिक मंदी की वजह से दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ा है। जिसकी वजह से सरकार को विपक्ष के तानों और आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार के लक्ष्यों को असंभव बताया था। वाशिंगटन में पत्रकारों से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि “आईएमएफ ने ग्रोथ प्रोजेक्शंस घटाई हैं। भारत की भी घटाई है। पर हम अब भी दुनिया की सबसे तेज़ रफ़्तार अर्थव्यवस्था हैं। अच्छा होता कि मनमोहन सिंह दूसरे मुद्दों पर सलाह देते।”
निर्मला सीतारमण ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स से कहा कि भारत में कॉरपोरेट्स टैक्स अब दुनिया की सबसे कम दरों में से एक है। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि मनमोहन सरकार को विकास का सेहरा जाता है। और मौजूदा सरकार के समय हालात बिगड़े हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “कुछ दिन पहले कॉरपोरेट टैक्स कम किया गया। उद्योग पतियों को एक लाख़ 25 हज़ार करोड़ की राहत दी गई। मीडिया ने कहा अब अर्थव्यवस्था ठीक हो जाएगी। लेकिन 3 दिन में गैस का गुब्बारा फ़टा। ख़त्म कहानी। आप देखिएगा, कि अगले छह महीनों में अर्थव्यवस्था की क्या हालत होती है, बेरोज़गारी की क्या हालत होती है।”
ग़ौरतलब है कि निर्मला सीतारमण ने न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में कहा था, कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उनके सबसे ‘बुरे दौर’ में पहुंचाने के लिए मनमोहन सिंह-रघुराम राजन की जोड़ी ज़िम्मेदार है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार सुनती है और फिर प्रतिक्रिया देती है। अगर यह बताना है कि किसी क्षेत्र में परेशानी क्यों है, तो आज की सरकार को याद करना होगा कि पहले क्या ग़लत हुआ है। वित्त मंत्री ने क्या ग़लत हुआ था, यह याद करते हुए कहा कि निश्चित तौर पर इसका कारण वह दौर है, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। रघुराम राजन आरबीआई के गवर्नर थे।
बता दें कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावी अभियान में कमज़ोर पड़ती अर्थव्यवस्था एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर सामने आई है। और बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर आरोप-प्रत्यारोपों का यह दौर आने वाले दिनों में और तेज़ होने की संभावना जताई जा रही है।