नई दिल्ली: कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में लगातार नया मोड़ आर है। जिस तरह से क्रिकेट में हर एक बॉल में मैच का रुख बदल जाता है। ठीक उसी तरह से कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का माहौल भी बदल रहा है। तीन दिन तक पहले जहां राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा था। लेकिन, फिर कुछ ऐसा सियासी ड्रामा हुआ, जिससे पूरा सियासी दृश्य भी बदल गया।
अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद की रेस से बाहर होने के बाद दिग्विजय सिंह का नाम इसके लिए तय माना जा रहा था। लेकिन अब इस मुकाबले में मल्लिकार्जुन खड़गे की भी एंट्री हो गई है। यही नहीं कहा जा रहा है कि अब उनके नाम पर ही सहमति बनाई जा सकती है। मल्लिकार्जुन खड़गे से दिग्विजय सिंह की मुलाकात हुई है और वह नामांकन न दाखिल करने का फैसला ले सकते हैं। ऐसी स्थिति में अध्यक्ष पद को लेकर सीधा मुकाबला मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच ही होगा।
साफ है कि शशि थरूर को बागी जी-23 का नेता माना जाता है, जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के वफादार हैं। अशोक गहलोत के बागी तेवरों के बाद अब वही गांधी परिवार और पार्टी की पसंद बनकर उभर सकते हैं। वह दक्षिण भारत से आते हैं, जहां पार्टी अपने पैर मजबूती से जमाने की कोशिश में है। इसके अलावा वह विवादों से भी परे रहे हैं, जबकि दिग्विजय सिंह अपने बयानों के चलते चर्चा में रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम अचानक ही अध्यक्ष पद की रेस में जरूर आया है, लेकिन कांग्रेस में चल रहे घटनाक्रमों से साफ है कि वही बाजी मार सकते हैं।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी गुरुवार को कहा था कि शुक्रवार शाम तक अध्यक्ष पद को लेकर फैसला हो जाएगा। उनके बयान से साफ था कि आखिरी दौर तक कुछ भी बदल सकता है। खुद दिग्विजय सिंह ने ही नामांकन पत्र लेते हुए भी कहा था कि कल तक तय हो जाएगा कि मेरा नामांकन होगा या नहीं। अब दिग्विजय सिंह की मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात ने साफ कर दिया है कि वह रेस से हट सकते हैं। इस बीच राजस्थान में भी बड़े बदलाव होने की उम्मीद है। अध्यक्ष पद के बाद कभी भी विधायक दल की मीटिंग हो सकती है और उसमें नए सीएम को लेकर प्रस्ताव पारित हो सकता है।