कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार वह इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख को लेकर चर्चा में हैं. उन्होंने अपने लेख में ऐसा कुछ लिख दिया है कि BJP के कई बड़े नेताओं ने उनकी निंदा की है. राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी से लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राहुल गांधी की निंदा की है.
राहुल गांधी ने अपने लेख में लिखा है, ‘भारत को ईस्ट इंडिया कंपनी ने चुप करा दिया था. यह अपनी व्यापारिक ताकत से नहीं, बल्कि अपनी पकड़ से चुप करा दिया था. कंपनी ने हमारे ज़्यादा दब्बू महाराजाओं और नवाबों के साथ साझेदारी करके, उन्हें रिश्वत देकर और धमकाकर भारत का गला घोंट दिया. इसने हमारे बैंकिंग, नौकरशाही और सूचना नेटवर्क को नियंत्रित किया. हमने अपनी आज़ादी किसी दूसरे देश के हाथों नहीं खोई; हमने इसे एक एकाधिकारवादी निगम के हाथों खो दिया जो एक दमनकारी तंत्र चलाता था.
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने X पर अपने पोस्ट में लिखा, ‘मैं आज राहुल गांधी द्वारा भारत के पूर्व राजपरिवारों को बदनाम करने के प्रयास की कड़ी निंदा करती हूं. एकीकृत भारत का सपना भारत के पूर्व राजपरिवारों के बलिदान के कारण ही संभव हो पाया. ऐतिहासिक तथ्यों की आधी-अधूरी व्याख्या के आधार पर लगाए गए निराधार आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने X पर पोस्ट लिखकर राहुल गांधी के लेख की निंदा की. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, ‘नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है. राहुल गांधी की भारत की समृद्ध विरासत के बारे में अज्ञानता और उनकी औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी हदें पार कर दी हैं. यदि आप राष्ट्र के उत्थान का दावा करते हैं, तो भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता के लिए जमकर लड़ाई लड़ी.
उदपुर के राजकुमार लक्ष्यराज सिंह ने भी राहुल गांधी के लेख की आलोचना की है. उन्होंने X पर अपने पोस्ट में लिखा है, ‘भारत के राजपरिवारों ने पूरे इतिहास में शासन में नियंत्रण और शोषण का सहारा लेने के बजाय सहयोग की भावना को अपनाया है. औपनिवेशिक ढांचे से विभाजित होने के बावजूद, राजपरिवार हमेशा अपने लोगों के रक्षक रहे हैं और उन्होंने भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने भूमि प्रबंधन में निवेश किया, सिंचाई प्रणाली का निर्माण किया, अपने लोगों के कल्याण में योगदान देने वाले बुनियादी ढांचे का विकास किया. वे हमेशा संप्रभुता के रक्षक रहे हैं.’