महाराष्ट्र : राज्य की 288 विधानसभा सीटों के लिए कल 20 नवंबर को वोटिंग हीनी है. सभी राजनीतिक दल मुकाबले के लिए तैयार हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी का खिताब जीतने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. वहीं, उनके संबंधित सहयोगी दल – शिवसेना, शिवसेना (UBT), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और एनसीपी (शरद पवार) भी मैदान में हैं.
चुनाव अभियान के दौरान बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं. वहीं, कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और कई अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगा. इस बार चुनाव में 5 सीटों पर कड़ा मुकाबला होनी की उम्मीद है. चुनाव में सब की नजर इन सीटों पर रहने वाली है. इनमें वर्ली और बारामती की सीट भी शामिल है, जहां क्रमश: ठाकरे और पवार परिवार के सदस्य आमने-सामनें हैं.
मुंबई की हाई-प्रोफाइल वर्ली विधानसभा सीट पर एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के मिलिंद देवड़ा, शिवसेना (UBT) के आदित्य ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता संदीप देशपांडे के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. दक्षिण मुंबई के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा मिडिल क्लास वोटर्स पर मजबूत पकड़ रखते हैं.
वहीं, शिवसेना (UBT) के आदित्य ठाकरे भी वर्ली सीट से ताल ठोक रहे हैं. 2019 में उन्होंने यहां से 89,248 वोटों के साथ शानदार जीत हासिल की थी. ठाकरे को कोविड-19 महामारी के दौरान अपने हाथों-हाथ काम करने के लिए पहचान मिली थी.
हालांकि, यहां MNS का मतदाता आधार छोटा है, लेकिन संदीप देशपांडे स्थानीय मुद्दों, खासकर बुनियादी ढांचे और आवास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जाने जाते हैं. इसे अलवा उनके डायरेक्ट अप्रोच और काम ने उन्हें विशेष रूप से वर्ली में मराठी भाषी मतदाताओं के बीच लोकप्रियता दिलाई है.
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद बारामती में एक बार फिर पवार परिवार के बीच टकराव देखने को मिल रहा है. इस बार शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को चुनौती दे रहे हैं. एनसीपी (शरद पवार) अपने पारंपरिक गढ़ में उनकी उम्मीदवारी का समर्थन कर रही है. युगेंद्र, शरद पवार की देखरेख में अपने राजनीतिक डेब्यू की तैयारी कर रहे हैं. वह इससे पहलेसुप्रिया सुले के लोकसभा अभियान के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं.
दूसरी ओर, अजीत पवार भी इस निर्वाचन क्षेत्र के निर्विवाद नेता रहे हैं, जिन्होंने 1991 से लगातार सात बार सीट हासिल की है. 2019 में अजीत पवार ने लगभग 1.95 लाख वोट और 83.24 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करते हुए निर्णायक जीत हासिल की थी.
वांद्रे विधानसभा क्षेत्र में जीशान सिद्दीकी और वरुण सरदेसाई के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है. जीशान सिद्दीकी के पास युवा वोटर्स के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय का भी समर्थन हासिल है. वे स्थानीय मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद उन्हें सहानुभूति वोट मिलने की भी उम्मीद है.
दूसरी ओर इस सीट से उद्धव ठाकरे के भतीजे वरुण सरदेसाई मैदान में हैं, जो 2022 में पार्टी के विभाजन के दौरान शिवसेना (UBT) के साथ मजबूती से खड़े रहे हैं. वांद्रे ईस्ट में उनका काफी प्रभाव है, उन्हें शिवसेना के पारंपरिक वोटर्स का समर्थन हासिल है.
नागपुर साउथ वेस्ट विधानसभा सीट से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में उनकी नजर लगातार चौथी बार अपने गढ़ को सुरक्षित करने पर है. वे 2009 से नागपुर दक्षिण पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और लगातार तीन बार जीतते आए हैं.
फडणवीस को कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल गुडधे चुनौती दे रहे हैं, जो अपनी गहरी स्थानीय जड़ों और जमीनी स्तर के संबंधों के लिए जाने जाते हैं. माना जा रहा है कि उन्हें बीजेपी के प्रति मतदाताओं की उदासीनता, वर्तमान प्रशासन के प्रति असंतोष, सार्वजनिक सेवाओं और बीजेपी की आर्थिक नीतियों पर चिंताओं का फायदा मिल सकता है.
ठाणे के कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का मुकाबला केदार दिघे से होगा, जो उनके राजनीतिक गुरु दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे के भतीजे हैं.एकनाथ शिंदे ने अक्सर आनंद दिघे को राजनीति में अपने मार्गदर्शक के रूप में संदर्भित किया है. दिघे से उनका गहरा संबंध है.