कहते हैं कि बाप- दादा की परम्परा को नयी पीढ़ी निभा ले यही बहुत है। फिर भी कई ऐसे नियम क़ानून हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी अपनाए जाते हैं। पर कपूर ख़ानदान की कई परम्पराएँ इन दिनों टूटने लगी है। राजकपूर द्वारा बना आर के स्टूडीओ भी कपूर ख़ानदान की पीढ़ी संभाल कर नहीं रख पायी। आर के स्टूडीओ को हाथ से गँवाने के बाद धीरे-धीरे कपूर ख़ानदान की कई परम्पराएँ भी टूट रही हैं। रणधीर कपूर ने एक बयान दिया है जिससे पता चला कि अब 70 साल से चली आ रही कपूर ख़ानदान की परम्परा भी टूटने वाली है।
कपूर ख़ानदान फ़िल्मी दुनिया का एक ऐसा ख़ानदान माना जाता था जिसका हिंदी फ़िल्मी दुनिया में बोलबाला रहा है। पृथ्वीराज कपूर के ज़माने से कपूर ख़ानदान ने फ़िल्मी दुनिया में निर्देशन और अभिनय की जो नींव रखी वो बेजोड़ थी। एक तरह से उसके बाद हर पीढ़ी से कोई न कोई कपूर फ़िल्मी दुनिया में बना रहा। धीरे-धीरे उनका बोलबाला ज़रूर कम होता गया लेकिन फ़िल्मी दुनिया में कपूर ख़ानदान का नाम चलता रहा।
लेकिन राजकपूर के समय से शुरू की गयी गणेश पूजा की परम्परा को अब कपूर ख़ानदान तोड़ने वाला है। 70 साल पहले आर के स्टूडीओ में गणेश पूजा कि शुरुआत राजकपूर ने की थी और उसके बाद से हर साल ये आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस साल रणधीर कपूर ने कहा कि अब क्योंकि आर के स्टूडीओ उनके पास नहीं है तो उनके पास ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ गणेश पूजा का आयोजन किया जाए। इसलिए इस साल से गणेश पूजा का आयोजन नहीं होगा।
ये पहली बार नहीं है जब कपूर ख़ानदान की इस पीढ़ी ने कोई परम्परा तोड़ी है। इससे पहले होली आयोजन भी नहीं किया गया था जो राजकपूर के ज़माने से कपूर ख़ानदान की पहचान थी। वैसे तो इस पीढ़ी ने कपूर ख़ानदान की सबसे बड़ी पहचान आर के स्टूडीओ को भी गँवा ही दिया है। कपूर ख़ानदान की नींव रखने वाले अब इस दुनिया में नहीं है ऐसे में कपूर ख़ानदान का जो एका पहले हुआ करता था वो भी कहीं न कहीं खोता हुआ नज़र आ रहा है।