- आईआईएम रोहतक की रिपोर्ट से अंजान मंत्री, सड़क दुर्घटनाओं में तीन महीने में ही 275 मौतें।
देहरादून। चारधाम यात्रा को लेकर राज्य सरकार की नीति और नीयत दोनों सवालों के घेरे में हैं। एक ओर सरकार यात्रियों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण की बात कर रही है, तो दूसरी ओर बिन-पंजीकरण यात्रियों को भी यात्रा की खुली छूट देने की घोषणा कर भ्रम और अव्यवस्था की ज़मीन तैयार कर रही है। यह आरोप लगाए हैं उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन एवं प्रशासन) सूर्यकांत धस्माना ने।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में धस्माना ने कहा, “यात्रा शुरू होने में महज़ कुछ दिन बाकी हैं, लेकिन सरकार के पास ठोस योजना के बजाय सिर्फ़ खोखले दावे हैं। स्थिति यह है कि पर्यटन मंत्री को यह तक नहीं पता कि आईआईएम रोहतक ने चार धाम मार्गों और शहरों की भार-वहन क्षमता पर विस्तृत रिपोर्ट दी है, जिसे मुख्य सचिव ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकों में इस्तेमाल भी किया है।”
धस्माना ने कहा कि जब मंत्री स्वयं असीमित संख्या में यात्रियों को आमंत्रित कर रहे हैं, तो पिछले वर्ष की तरह पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ने जैसी घटनाएं फिर दोहराई जा सकती हैं। उन्होंने कहा, “चार धाम यात्रा करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, और साथ ही उत्तराखंड की आर्थिक जीवनरेखा भी। इसकी सफलता में ही प्रदेश के लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है।”
“30 जुलाई की आपदा के बाद केदार घाटी की स्थिति सामान्य नहीं हो सकी थी, और यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई। यमुनोत्री व बद्रीनाथ मार्गों पर भी यात्री परेशान रहे।”
धस्माना ने आंकड़ों के ज़रिए सरकार की सड़क सुरक्षा नीति की भी पोल खोली। उन्होंने बताया कि “पिछले पांच वर्षों में औसतन हर साल 1000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा चुके हैं और करीब 1500 घायल हुए हैं। इस साल की पहली तिमाही में ही 275 मौतें हो चुकी हैं।”
उन्होंने कहा, “सरकार को चाहिए कि चार धाम यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, आवास, भोजन और सबसे अहम, दर्शन व्यवस्था सुनिश्चित करे। साथ ही यात्रा मार्गों और शहरों की भार वहन क्षमता का सख्ती से पालन अनिवार्य बनाए।”