नागपुर हिंसा मामले में घर गिराने पर हाईकोर्ट की रोक, प्रशासन को कड़ी फटकार

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नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने नागपुर हिंसा मामले में दो आरोपियों के घरों को गिराने की प्रशासनिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अदालत ने प्रशासन के रवैये को मनमाना और दमनकारी बताते हुए कड़ी फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि बिना सुनवाई के घरों को गिराना कानून के खिलाफ है।

फहीम खान का घर आदेश से पहले ही गिराया गया

हालांकि, हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले ही फहीम खान का दो मंजिला घर ध्वस्त कर दिया गया था। वहीं, यूसुफ शेख के घर के अवैध हिस्से को गिराने की कार्रवाई कोर्ट के आदेश के बाद रोक दी गई।

अदालत ने प्रशासन से मांगा जवाब

घर गिराने के खिलाफ फहीम खान और यूसुफ शेख ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर जस्टिस नितिन साम्बरे और वृषाली जोशी की बेंच ने सुनवाई की। अदालत ने सवाल उठाया कि बिना सुनवाई के किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है? फहीम खान के वकील अश्विन इंगोले ने बताया कि कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। यदि तोड़फोड़ अवैध पाई जाती है, तो प्रशासन को नुकसान की भरपाई करनी होगी।

नगर निगम ने भारी सुरक्षा में की थी कार्रवाई

सोमवार सुबह पुलिस सुरक्षा में नगर निगम ने फहीम खान का घर गिराने की कार्रवाई की। प्रशासन ने इसे बिना अनुमति बनी अवैध इमारत बताया। इसी तरह, यूसुफ शेख के घर के अवैध हिस्से को गिराने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद उसे रोक दिया गया।

फहीम खान पर देशद्रोह का मामला दर्ज

फहीम खान ‘माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी’ (एमडीपी) के नेता हैं। उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज है और वे 17 मार्च की हिंसा में शामिल 100 से अधिक गिरफ्तार लोगों में शामिल हैं।

नगर निगम का दावा: अवैध निर्माण पर हुई कार्रवाई

नगर निगम ने दावा किया कि फहीम खान की संपत्ति की लीज 2020 में खत्म हो गई थी और उनके घर के लिए कोई आधिकारिक नक्शा पास नहीं था। उन्हें 24 घंटे पहले नोटिस जारी किया गया था और यह कार्रवाई महाराष्ट्र क्षेत्रीय नगर योजना अधिनियम (एमआरटीपी एक्ट) के तहत की गई थी।

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