ब्रेस्ट पकड़ना रेप नहीं…सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 11 साल की नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि “नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ना रेप की कोशिश नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को असंवेदनशील करार देते हुए इसे गलत कानूनी व्याख्या बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर जताई नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। जजों ने कहा,
“हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि इस तरह के गंभीर मामलों में फैसला देने वाले जजों में संवेदनशीलता की कमी है। यह सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना से भी जुड़ा विषय है।”

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए खुद ही हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इसके साथ ही केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई है।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि,
“कुछ फैसले ऐसे होते हैं जिन पर तुरंत रोक लगाना जरूरी होता है। इस फैसले के कई पैराग्राफ में जिस तरह की बातें लिखी गई हैं, उनसे समाज में गलत संदेश गया है।”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह के मामलों की सुनवाई में असंवेदनशील दृष्टिकोण रखने वाले जजों को शामिल न किया जाए।

चार महीने बाद आया था फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने जताई आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि यह फैसला तुरंत नहीं लिया गया था, बल्कि इसे सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया। जजों ने कहा कि इसका मतलब है कि हाई कोर्ट ने सोच-समझकर यह निष्कर्ष निकाला था, जो कि पूरी तरह गलत कानूनी व्याख्या पर आधारित था।

क्या कहा था हाई कोर्ट ने?

17 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि
“पीड़िता को खींचकर पुलिया के नीचे ले जाना, उसके ब्रेस्ट को पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप की कोशिश नहीं है। यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला तो हो सकता है, लेकिन इसे रेप या रेप की कोशिश नहीं कहा जा सकता।”

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 11 साल की नाबालिग लड़की से जुड़ा हुआ है, जिसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई थी। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसे खींचकर पुलिया के नीचे ले जाकर उसके कपड़े फाड़ने और उसे जबरन पकड़ने की कोशिश की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए मामले की आगे की सुनवाई के लिए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की असंवेदनशीलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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