दिवाली से पहले ही ‘जहरीली’ हुई दिल्ली की हवा, कैसे मिलेगी राहत?

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दिल्ली में दिवाली के आसपास वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। इसे देखते हुए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हर साल दिवाली के आसपास पटाखों पर नियंत्रण लगाया जाता है। दिल्ली की हवा जहरीली होती जा रही है। जहां लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है, वहीं इससे लोगों को कई बीमारियां भी हो रही हैं।

बावजूद इसके इन दिनों राजधानी की हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अभी तक की बात करें तो दिल्ली के पांच इलाकों नॉर्थ कैंपस, रोहिणी, मुंडका, आनंद विहार और न्यू मोती बाग का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 का आंकड़ा पार कर गया है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक दिल्ली में एक जनवरी 2024 तक सभी तरह के पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री (आनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म के जरिये डिलीवरी सहित) और पटाखों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है।

DPCC ने इस आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस को सौंपते हुए नियमित एक्शन टेकन रिपोर्ट भी जमा कराने के लिए कहा है। सामान्य पटाखों से इतर ग्रीन पटाखों का कैमिकल फार्मूला ऐसा होता है कि इनसे पानी की बूंदे निकलती हैं। इससे प्रदूषण कम होता है और धूलकणों को भी पानी की बूंदें दबा देती हैं।

इनमें प्रदूषक तत्व नाइट्रस आक्साइड और सल्फर आक्साइड 30 से 35 प्रतिशत तक कम होते हैं। मुख्य तौर पर यह पटाखे लाइट एंड साउंड शो के जैसे हैं। इन्हें जलाने पर खुशबू भी आती है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन पटाखों में 50 से 60 प्रतिशत तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है। ग्रीन पटाखों पर हरे रंग का स्टीकर और बारकोड लगे होते हैं।

हरे रंग वाले स्टिकर इस बात की पुष्टि करने के लिए हैं कि ये ग्रीन पटाखे हैं। यदि आप इन पटाखों के निर्माता और इनमें इस्तेमाल हुए केमिकल के बारे में जानना चाहते हैं तो इनके ऊपर लगें बारकोड को स्कैन कर सकते हैं। पटाखामुक्त दिवाली और ग्रीन पटाखों को लेकर तस्वीर अभी तक भी पूरी तरह से साफ नहीं कही जा सकती है। दिवाली पर लंबे समय से पटाखे जलाए जा रहे हैं, इन पर प्रतिबंध लगाना नामुमकिन नहीं तो बहुत आसान भी नहीं कहा जा सकता।