कोरोना वैक्सीन की दो डोज क्यों हैं ज़रूरी.? आखिर क्यों है दोनों के बीच में कुछ दिनों का अंतर.?

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दुनिया भर में बढ़ते कोरोना वायरस (Corona virus) के संकट के बीच इसकी वैक्सीन (Corona vaccine) का निर्माण हो चुका है। जिससे अब लोगों की परेशानियां कम हो चुकी है। जल्दी ही अब देशभर में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू होने वाला है। ऐसे में जरूरी है कि हम इसकी डोज के बारे में जाने। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ को वैक्सीन की दो डोज देना ज़रूरी है और दोनों डोज के बीच में कुछ दिनों का अंतर भी रखा ज़रूरी है।

ऐसे में सबके लिए जानना ज़रूरी है कि वैक्सीन की दो डोज की ज़रूरत क्यों हैं? और इसके बीच में अंतर कितने दिन का होना चाहिए? बता दें कि अमरिका में जो पहले कोविड-19 वैक्सीन लग रही है, उसमें दो डोजों का अंदर कुछ हफ्तों का है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक डोज पर्याप्त रूप से प्रभावी नहीं होगा, यह प्रतिरोधी क्षमता तो बेहतर करता है, लेकिन पूरी तरह से नहीं और इसका असर भी लंबे समय तक नहीं रहता। जिसके कारण इसकी दूसरी डोज देना बेहद ज़रूरी है। बता दें कि वैक्सीन की पहली डोज हमारे प्रतिरोध तंत्र को वायरस की पहंचन करने में मदद करती है और दूसरी दूसरी डोज इसको ख़तम करने का काम करती है।
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इसके अलावा इस वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है लेकिन अगर ऐसा होता भी है तो दूसरी डोज इसको भी ख़तम करने का काम करेगी। इसके साथ ही अब जानते है कि इन दो डोज के बीच में कितने दिनों का अंतर होना चाहिए? आमतौर पर दो डोज के बीच 21 से 28 दिन का अंतर आदर्श माना गया है। लेकिन अलग अलग वैक्सीन के डोज में अलग अलग समय बताया गया है। जहां फाइजर वैक्सीन के दूसरे डोज में तीन हफ्तों का तो वहीं मोडर्ना और एस्त्राजेनेका के दूसरे डोज में चार हफ्तों के अंतर का सुझाव दिया गया है।