चमोली : भारत की स्वतन्त्रता तिथि श्रावण कृष्ण चतुर्दशी है। आज ही की तिथि को भारत देश आजाद हुआ था। इस मौके पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ‘1008’ ने मेला प्रांगण में भारतीय स्वन्त्रता तिथि उत्सव के अवसर पर ध्वजारोहण किया। उन्होंने कहा कि यह इस देश की विडम्बना ही है कि भारत में आज भी अंग्रेजी तिथि के अनुसार राष्ट्रीय पर्व मनाया जाता है। भारतीयता की स्थापना के लिए हमारे पूर्वजों ने जिस अंग्रेज और अंग्रेजियत को हटाया था, वह आज भी हमारे सत्ताधीशों के द्वारा चलाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस देश में नेता लोग इस बात को न समझते हों कि भारतीय तिथियों में भारत के पर्व मनाए जाते हैं। क्योंकि रामनवमी, जन्माष्टमी और महाशिवरात्रि के दिन इसी देश में विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में तिथि अनुसार ही अवकाश दिया जाता है, लेकिन हमारे राष्ट्रीय पर्व को आयोजित करने के लिए अंग्रेजों के बनाए ग्रेगोरियन कैलेण्डर का आधार लिया जाता है।
उन्होंने सवाल किया कि जब भारत के पास अपनी समृद्धशाली कालगणना की परम्परा विद्यमान है तो हमें इस पर गौरव करना चाहिए। कोई कारण नहीं कि हमें दूसरों की पद्धति को अपनाना पडे। भारत के लोग भारतीय होने में ही गौरव का अनुभव करते हैं। स्वातन्त्र्य तिथि महोत्सव का शुभारम्भ पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज द्वारा स्वातन्त्र्यवीरोत्तम सम्मान से अलंकृत ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जी महाराज के पूजन एवं ध्वजोत्तोलन से हुआ। जगद्गुरुकुलम् के वैदिक बटुकों ने एक स्वर में राष्ट्रगान प्रस्तुत किया। ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द जी, धर्मशास्त्रपुराणेतिहासाचार्य पं राजेन्द्र प्रसाद शास्त्री जी, आचार्य राजकुमार शास्त्री जी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य की प्रेरणा से देश के कोने – कोने में अपनी तिथि के अनुसार अपने उत्सव को मनाया जा रहा है। ज्योतिर्मठ में आश्रम व्यवस्थापक विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी ने आश्रम वासियों की उपस्थित में ध्वज फहराया और बदरीनाथ स्थित श्रीशंकराचार्य आश्रम प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी द्वारा ध्वजोत्तोलन करके सबको प्रसाद बांटा गया।