बड़ी खबर: तो क्या खतरे में पड़ जाएगी शिंदे सरकार? इन चर्चाओं ने बढ़ा दी धड़कनें!

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महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराकर एकनाथ शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। लेकिन, सरकार बनने के बाद से लगातार शिंदे और भाजपा सरकार पर खतरा बना हुआ है। विधायकों की अयोग्यता का मामला हो फिर कुछ निर्दलीय और शिवसेना विधायकों की वापसी की चर्चा से शिंदे-भाजपा सरकार की चिंताएं दूर नहीं हुई हैं।

शिवसेना से बगावत करके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले एकनाथ शिंदे के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। अभी सरकार बने करीब तीन महीने ही बीते हैं, लेकिन उन्हें अपने साथ आए विधायकों की नाराजगी से गुजरना पड़ रहा है। इसी के चलते वह कैबिनेट का दूसरा विस्तार भी नहीं कर पा रहे हैं।

शिवसेना से बागी ज्यादातर विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में खुद को मंत्री देखना चाहते हैं और यही मुश्किल की वजह है। फिलहाल असली शिवसेना और नकली शिवसेना का विवाद भी चल रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के समक्ष लंबित है। ऐसे में चर्चा है कि कुछ ऐसे विधायक भी हैं, जो मंत्री न बन पाने की स्थिति में उद्धव ठाकरे गुट के साथ जा सकते हैं। ऐसा होता है तो एकनाथ शिंदे के लिए यह बड़ी मुश्किल होगी।

यदि कुछ विधायक जाते हैं तो फिर एकनाथ शिंदे गुट के सामने दलबदल कानून का खतरा पैदा हो जाएगा। एकनाथ शिंदे ने जब शिवसेना से बगावत करके सरकार बनाई थी तो उन्हें 40 विधायकों का समर्थन मिला था। शिवसेना के कुल 54 विधायक हैं। ऐसे में उन्हें कम से कम 37 विधायक विवाद हल होने तक अपने साथ रहना जरूरी है ताकि दलबदल कानून से बच सकें। इसलिए यदि बागी विधायकों में से 4 भी अलग हुए तो संख्या 36 ही रह जाएगी और दलबदल कानून का खतरा पैदा हो जाएगा।

शिंदे ग्रुप के एक सदस्य ने कहा कि फिलहाल यह पूरा विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके अलावा चुनाव आयोग के पास भी दोनों पक्षों की याचिका लंबित है। लेकिन इस वक्त यदि कैबिनेट विस्तार होता है और यदि मंत्री पद न पाने वाले नेता उद्धव खेमे में चले जाते हैं तो फिर असली शिवसेना पर दावे का आधार ही कमजोर हो जाएगा।

पहले कैबिनेट विस्तार में एकनाथ शिंदे गुट के 40 में से 9 विधायक ही मंत्री बने हैं। ऐसे में बाकी लोगों के बीच असंतोष है कि उन्हें शिवसेना से बगावत करने पर आखिर क्या मिला है। इसके अलावा एक बड़ा गुट यह भी सोच रहा है कि शिवसेना से बगावत पर एक तरफ उनकी चुनावी संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं तो दूसरी तरफ उन्हें मंत्री पद जैसे फायदा भी नहीं मिल सका है।

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे अब ज्यादा से ज्यादा 23 और लोगों को मंत्री बना सकते हैं, जबकि उम्मीद सभी 31 विधायक कर रहे हैं। इसके अलावा भाजपा को भी कोटे में रखना है। ऐसे में एकनाथ शिंदे के लिए यह चिंता की बात है कि कैसे विधायकों को साधा जाए। दरअसल दूसरे कैबिनेट विस्तार पर भाजपा की भी नजर है और उसके विधायकों की संख्या अधिक है। ऐसे में वह ज्यादा मंत्री पद चाहती है। इसके अलावा छोटे दलों के विधायक भी मंत्री पद मांग रहे हैं।