आतिशी बनीं दिल्ली की 8वीं मुख्यमंत्री, LG ने 5 मंत्रियों को भी दिलाई शपथ

0
27

दिल्ली को नया मुख्यमत्री मिल गया है। अरविन्द केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आए आदमी पार्टी नेता आतिशी (Atishi) नें सीम पड़ की शपथ की। आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने आज राज्य के तीसरे महिला सीएम के रूप में शपथ ली। उनके साथ गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन के अलावा कैबिनेट के नए चेहरे के रूप में सुल्तानपुर माजरा के विधायक मुकेश कुमार अहावलत ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

दिल्ली में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। मुकेश अहलावत भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। मुकेश अहलावत सुल्तानपुरी से विधायक हैं। यह अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। यह राजकुमार आनंद की जगह लेंगे। बता दें कि दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल छह मंत्री होते हैं। अभी मुख्यमंत्री के साथ पांच मंत्री शपथ ली है।

आतिशी का राजनीतिक सफर

  1. साल 2013 में उन्होंने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली।
  2. साल 2015 में उन्होंने मध्य प्रदेश में चलाए गए जल सत्याग्रह में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।
  3. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता गौतम गंभीर से चार लाख वोटों से हार गईं।
  4. 2020 में विधानसभा चुनाव में कालकाजी से बीजेपी नेता को 11 हजार से अधिक मतों के साथ हराया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले मनोनीत सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता आतिशी ने प्रस्तावित मंत्रियों के साथ अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके घर पहुंची। यहां वह उनसे मुलाकात की। बैठक के बाद आतिशी और अन्य मंत्री पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ ‘राजनिवास’ के लिए निकल गए। आतिशी अन्य मंत्रियों के साथ आज राजनिवास में शपथ लेंगी।

शपथ ग्रहण से पहले आप नेता गोपाल राय ने कहा कि जनता के लिए काम करना हमारी प्राथमिकता है और दिल्ली की जनता ने हमें काम करने के लिए चुना है। सरकार में बदलाव विशेष परिस्थितियों के कारण हुआ है और उसे देखते हुए हमारा लक्ष्य इन बचे हुए महीनों में लंबित कामों को आगे बढ़ाना है।

आप नेता दिलीप पांडे ने कहा- पूरी दिल्ली और देश ने देखा कि कैसे भाजपा ने आम आदमी पार्टी को तोड़ने के इरादे से ईडी, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करके आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार किया। भाजपा ने दिल्ली की जनता से बदला लेने का फैसला किया था, क्योंकि उन्होंने तीन बार उन्हें नकार दिया था। भाजपा को आप और आप नेताओं से दुश्मनी थी। अदालतों और देश के संविधान का शुक्रिया कि हमें राहत मिली और भाजपा को करारा तमाचा मिला।