देहरादून: देवभूमि की बेटी को भाजपा नेता के बेटे ने मार डाला। जिस तरह से अंकिता का मर्डर किया गया। उससे लोगों में भारी आक्रोश है। कांग्रेस की पहले दिन से ही मामले को लेकर मुखर है और सरकार पर लगातार गंभीर आरोप लगा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार का इरादा अपराधियों को बचाने का है। सबूतों को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।
अंकिता हत्याकांड में सबूतों को मिटाने, और जांच में हीलाहवाली का आरोप लगाते हुए आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उपवास कर विरोध दर्ज किया। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई बड़े नेता गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने उपवास पर बैठे। इस दौरान धरने को यूकेडी, माकपा और तमाम दूसरे संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है। कांग्रेस ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अंकिता के हत्यारोपियों को सजा तभी मिलेगी जब साक्ष्य बचेंगे। साक्ष्यों को नष्ट किया जा रहा है। समय से कोई कदम नहीं उठाया गया। गिरफ्तारी में देरी हुई। अंकिता का शव बरामद करने में देरी हुई। जिस रिजॉर्ट में साक्ष्य थे उस पर बुलडोजर चलवा दिया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री की ओर से अंकिता भंडारी के परिजनों को दी गई 25 लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महरा ने कहा कि यह कोई खैरात नहीं है, जो सरकार पीड़ित परिजनों को बांट कर वाहवाही लूट रही है।
उन्होंने आर्थिक सहायता को एक करोड़ रुपये किए जाने की मांग की। वहीं, अंकिता हत्याकांड के मामले में उन्होंने पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस की ओर से अंकिता के परिजनों पर दबाव बनाकर जनता के आक्रोश को कुचलने की कोशिश की।
डीजीपी की ओर से अंकिता के पिता से फोन पर की गई बातचीत का ऑडियो डीजीपी की ओर से सोशल मीडिया में सार्वजनिक करने पर भी उन्होंने आपत्ति जताई है। पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि जिस तरह से इस मामले में सरकार सुनियोजित ढंग से अपराधियों को बचाने के लिए सबूतों को मिटा रही है। उन्हें सरकार और पुलिस प्रशासन की जांच पर भरोसा नहीं है।