अद्भुत और अनूठा जौनसार, आस्था, संस्कृति और पर्यटन का संगम

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जौनसार! जौनसार का नाम आते ही मन में कई उत्सुक्ताएं कुलाचें मारने लगती हैं। सबसे पहले महासू देवता का नाम याद आता है और मन श्रद्धा से भर जाता है। महासू देवता की मान्यता जौनसार से लेकर हिमाचल और रवांई तक है। देश-विदेश से भी श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। जौनसार अपने आतिथ्य सत्कार के लिए भी जाना जाता है।

जौनसार की लोक संस्कृति और लोक परंपराओं की पूरे देश में एक अलग ही पहचान है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी जौनसार का महत्वपूर्ण स्थान है। देश पर विदेशी आक्रांताओं के हमलों की बात हो या फिर स्वतंत्रता संग्राम की बात, जौनसार के वीरों ने अहम भूमिका निभाई और खुद को न्योछावर कर बलिदान भी दिए। इस लेख में हम आपको जौनसार और उसके आसपास के बारे में संक्षिप्त में कुछ बताने का प्रयास कर रहे हैं।

जौनसार उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित है। यह देहरादून से हिमाचल प्रदेश की सीमा तक उत्तर-पश्चिम में स्थित फैला हुआ है। जौनसार एक अद्भुत जगह है, जो प्रकृति की गोद में सुकून की तलाश करने वालों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जीवंत त्योहारों का गवाह बनना है, तो जौनसार चले आइए। भावपूर्ण लोक संगीत का आनंद पहली बार में जिसके कानों पर पड़ेगा वह खुद को उसकी ओर आकर्षित होने से नहीं रोक पाएगा। लोकनृत्य की एक झलक किसी के भी भीतर तक झंकृत कर देगी। स्वादिष्ट स्थानीय व्यंजन जहां आपको भरपूर आनंद देते हैं। वहीं, आपकी सेहत का भी ख्याल रखते हैं।

महासू देवता पूरे जौनसार के आराध्य देव हैं। होनल का प्रसिद्ध महासू देवता मंदिर देश-दुनिया में खास पहचान रखता है। यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है। इसके अलावा महासू देवता के दूसरे थान (मंदिर) भी अपनी मान्यता, अद्भुत और अनूठी वास्तु कला के लिए भी जाने जाते हैं। लाखामंडल लोगों की आस्था का एक मुख्य केंद्र है। यह स्थान भगवान शिव और पांच पाडवों के लिए जाना जाता है। आस्था के साथ ही यह शोधकर्ताओं के लिए आज भी शोध का विषय बना हुआ है।

  • वासिक महाराज का मन्दिर देवधार बावर में है। यहाँ पर वासिक देवता की नियमित पूजा-अर्चना होती है।
  • पवासिक महराज  को पाशिबिल का क्षेत्र दिया गया, जहाँ उसकी नियमित पूजा व्यवस्था चलती हैं।
  • बौठा महासू महाराज का मन्दिर हनोल में स्थित मुख्य मन्दिर है। यहाँ पर पूर्ण व्यवस्था के साथ पूजा होती है।
  • चालदा महाराज का कोई निश्चित स्थान नहीं है, परन्तु प्रत्येक बारह वर्ष में चालदा देवता की डोली एक मन्दिर से दूसरे मन्दिर में भाई महासू देवताओं के साथ रखी जाती है। प्रत्येक बारह वर्ष में चालदा महाराज जागड़ा पर्व या ‘बंराश’ पर पूरे क्षेत्र में भ्रमण करती है। 

जौनसार का हर गांव पर्यटन का केंद्र है। गांव में जाने पर आपको पर्यटन के लिए कुछ खोजने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। गांव के मकानों और वास्तुकला को देखकर आपकी जुबां से खुद ही शब्द फूटने लगेंगे। जौनसार के गांवों की कहानियां। महासू देवता के प्रति लोगों की आस्था यहां आने वाले लोगों को प्रेरित करने का काम करती है।

जौनसार अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है, यहां का वातावरण साफ और स्वच्छ है। चकराता, चिलिमिरी, चुरानी, सवाई, टांनडांडा, रामताल गार्डन, बैरटखाई, लाखामंडल, टाइगर फॉल, बुंदेर गुफा, कोटी कनासर, हनोल और  देववन समेत कई पर्यटन स्थल है।

इतिहास के शौकीनों को मौर्य काल का कालसी का आशोक स्तंभ हो या फिर अन्य प्राचीन खंडहर और शिलालेख रोमांचित करेंगे। बौद्ध स्तूपों और मंदिरों के अवशेष बहुत कुछ बताने के लिए काफी हैं। पत्थरों पर उकेरे गए अशोक के शिलालेख इतिहास के पन्नों को खंगालने पर मजबूर कर देंगे। जौनसार की कोई भी यात्रा इसके स्वादिष्ट स्थानीय व्यंजनों का आनंद लिए बिना पूरी नहीं होती। पारंपरिक मेलों में भाग लेने से लेकर प्राचीन मंदिरों की खोज तक, प्रत्येक अनुभव इस आकर्षक क्षेत्र के एक नए पहलू को उजागर करता है।