नई दिल्ली – आज भी हमारे देश में करोडो, अरबों की संपत्ति बैंकों और बीमा कंपनियों के पास लावारिश रूप में पड़ी है। जिसका कोई लेने वाला नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि इस समय देश के अलग-अलग वित्तीय संस्थानों के पास 32455।28 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। यानी 32455।28 करोड़ रुपये की धन को लेने का कोई दावा नहीं कर रहा है। बता दें कि इन संस्थानों में बैंक और बीमा कंपनिया शामिल हैं। यदि यह रुपये देश में लगा दिए जाये तो हमारे देश की आधी से ज्यादा गरीबी दूर हो जाएगी।
इसमें से बैंकों के पास साल 2018 की तुलना में 26।8 फीसदी ज्यादा यानी 14,578 करोड़ रुपये का लावारिस धन है। साल 2017 की बात करें, तो तब यह आंकड़ा 11,494 करोड़ रुपये था। वहीं साल 2016 में बैंकों में 8,928 करोड़ रुपये लावारिस पड़े थे।
वित्त मंत्री ने बताया कि साल 2018 के आखिर में अकेले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में अनक्लेम्ड डिपॉजिट यानी लावारिस धन का आंकड़ा 2156।33 करोड़ रुपये था। अन्य बैंकों की बात करें, तो राष्ट्रीय बैंकों के पास 9,919 करोड़ रुपये का लावारिस धन है, प्राइवेट बैंकों के पास 1,851 करोड़ रुपये का लावारिस पैसा है। वहीं विदेशी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण के बैंकों के पास क्रमश: 376 और 271 करोड़ रुपये का लावारिस धन है। बता दें कि स्मॉल फाइनेंस बैंक के पास 2।42 करोड़ रुपये की लावारिस धन है।
बैंकों के अतिरिक्त बीमा कंपनियों के पास भी करोड़ों रुपये लावारिस पड़ा है। बीमा कंपनियों के पास कुल 17877।28 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। वहीं पिछले साल यानी सितंबर 2018 के आखिर तक लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में 16887।66 करोड़ रुपये का लावारिस धन था। वहीं गैर-लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में यह आंकड़ा 989।62 करोड़ रुपये था। जीवन बीमा कंपनियों में अकेले भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास 12892।02 करोड़ रुपये की लावारिस धन है।