केरल के सबरीमाला मंदिर का कपाट आज से एक महीने के लिए बंद हो जायेगा। भगवान अयप्पा के मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने सम्बन्धी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद पिछले पांच दिनों में 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की कोई भी महिला सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी। अब तक दो पत्रकारों समेत सात महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों के कड़े विरोध पर उन्हें लौटना पड़ा।
रविवार को भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं ने तीन तेलुगु भाषी महिलाओं को मंदिर तक जाने वाली पहाड़ियों पर चढ़ने से रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले महीने 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं के भगवान अयप्पा के मंदिर में दर्शन पर लगी सदियों पुरानी रोक हटाने संबंधी फैसला देने के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने अयप्पा मंत्रोच्चारण करते हुए महिलाओं को पहाड़ी पर चढ़ने से रोक दिया।
सबरीमाला मंदिर के पारंपरिक संरक्षक पांडलम के शाही परिवार ने आरोप लगाया कि सरकार महिलाओं को लेकर ‘नैष्ठिक ब्रह्मचारी’ मंदिर की पवित्रता को नष्ट करने की कोशिश कर रही थी। महिलाओं को सुरक्षित ले जाने वाली पुलिस ने बताया कि महिलाओं को मंदिर के रीति रिवाजों के बारे में जानकारी नहीं थी। जबकि जो महिला प्रतिबंधित आयु वर्ग में नहीं थीं, उन्हें पवित्र पहाड़ियों पर चढ़ने की इजाजत थी।
मामले पर सीपीआई (एम) के सदस्य एस रामचंद्रन पिल्लई ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने वाले भक्त अल्पसंख्यक थे और उन्हें पूरे केरल समाज का समर्थन नहीं मिला था। उन्होंने सबरीमाला पर कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था।
केरल मुस्लिम जमैथ काउंसिल ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी। लाखों हिंदू भक्तों की भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए उसे धर्म निकाला किया गया है।