नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देशभर के उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) से आग्रह किया है कि वे स्नातक छात्रों के लिए अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (एईडीपी) लागू करें। इस पहल का मकसद छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण का अवसर देना और उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है।
यूजीसी के अनुसार, एईडीपी के जरिए छात्रों को उद्योगों में काम करने का वास्तविक अनुभव मिलेगा, जिससे उनकी रोजगार संभावनाएं बेहतर होंगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य परिणाम-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना, उच्च शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के बीच संबंध मजबूत करना, और उद्योगों में कौशल अंतर को कम करना है।
तीन और चार वर्षीय पाठ्यक्रमों में अप्रेंटिसशिप अनिवार्य
तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों को कम से कम एक सेमेस्टर और अधिकतम तीन सेमेस्टर तक अप्रेंटिसशिप करनी होगी।
चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में यह अवधि न्यूनतम दो सेमेस्टर और अधिकतम चार सेमेस्टर की होगी।
रोजगार के अवसर होंगे बेहतर
इस कार्यक्रम से छात्रों को शिक्षा के दौरान ही औद्योगिक अनुभव मिलेगा, जिससे उन्हें डिग्री पूरी करने के बाद तुरंत नौकरी पाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह उद्योगों की जरूरत के अनुसार छात्रों को प्रशिक्षित करने में भी मदद करेगा।
यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों को जल्द से जल्द इस कार्यक्रम को लागू करने का सुझाव दिया है, जिससे छात्रों को शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान और कौशल भी मिल सके।