जोशीमठ कहीं नहीं जा रहा, सरकार करेगी उपचार, पढ़ें किसने किया दावा

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शीमठ में भूधंसाव की समस्या 1976 से चली आ रही है। वर्तमान में यह बढ़ी है। विज्ञानियों की टीम समस्या के कारणों की तह तक जाने को अध्ययन में जुटी हैं। प्रारंभिक तौर पर विज्ञानियों ने माना है कि भूधंसाव का समाधान हो जाएगा और उनकी रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के उपचार के लिए प्रभावी ढंग से कदम उठाए जाएंगे।

आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को जोशीमठ में चल रहे राहत व जांच कार्यों की ब्रीफिंग के दौरान मीडिया में आई खबरों का उल्लेख करते हुए ये बातें कही। मीडिया में यह बात कही जा रही थी कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र में पड़ी दरारें 50 मीटर तक गहरी हैं, जिससे क्षेत्र धंस सकता है। डा सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ कहीं नहीं जा रहा, वहीं रहेगा।

सरकार इसके उपचार के लिए प्रतिबद्ध है और इसमें कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। डा. सिन्हा ने जोशीमठ में अध्ययन में जुटे विज्ञानियों से बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि प्रारंभिक तौर पर ये बात सामने आई है कि प्रभावित क्षेत्र में ऊपर की भूमि सूखी है, जबकि नीचे नमी अधिक है। यानी पानी सीधे नीचे जा रहा है। विज्ञानियों का कहना है कि उपचारात्मक कार्यों से भूधंसाव थम जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में ढलान वाले क्षेत्र में दरारें अधिक हैं, जबकि समतल क्षेत्र में काफी कम। ऐसे में ढलान वाले क्षेत्र का पहले उपचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आठ संस्थानों के विज्ञानी जांच कार्य में जुटे हैं। उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद न केवल सही तस्वीर सामने आएगी, बल्कि उपचारात्मक कार्यों की दिशा भी तय होगी।