उत्तराखंड, भर्ती, गड़बड़ी और पैसे वालों की जेब में जाती नौकरियां

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  • उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी आम बात है।

  • आयोग कि एक और भर्ती कि होगी जांच ।

देहरादून: उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी आम बात है। लेकिन, ये आम क्यों है, इस तरफ कम ही लोग ध्यान देते हैं। दरअसल, आम बात इसलिए है क्योंकि इन नौकरियों का सौदा कोई आम आदमी नहीं। बल्कि, खास लोग ही करते हैं। जिस स्तर पर नौकरियां बेची जाती हैं। उससे साफ है कि वैसा कारनाम कोई आम आदमी नहीं कर सकता है। हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्त चयन सेवा आयोग (uksssc) में 2021 की जिस भर्ती की जांच हुई। उसमें पेपर को लीक करने के लिए मोटी रकम ली और दी गई थी।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की एक और भर्ती जांच के दायरे में आ गई है। इस मामले में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। 2016 में हुई इस परीक्षा को रद्द किया गया था। इस मामले में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी है। इस भर्ती घोटाले मामले में आयोग के कई अधिकारियों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने छह मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) के 196 पदों पर भर्ती की परीक्षा कराई थी। इसका परिणाम उसी साल 26 मार्च को जारी किया था। इस भर्ती परीक्षा में आरोप लगे थे कि ओएमआर शीट को दो सप्ताह तक किसी गुप्त स्थान पर रखकर उससे छेड़छाड़ की गई थी। इसके बाद रिजल्ट जारी हुआ था।

इस भर्ती में दो सगे भाईयों के टॉपर बनने के साथ ही ऊधमसिंह नगर के एक ही गांव 20 से ज्यादा युवाओं के चयनित होने की बात जांच में सामने आई थी। तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने परीक्षा की उच्च स्तरीय जांच बैठाई थी। विवादों के बीच ही तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने इस भर्ती को रद्द कर दिया और मामले की फिर से जांच बिठा दी थी। उसी जांच के आधार पर विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया है।

हाईकोर्ट ने भर्ती परीक्षा मामले में दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया और भर्ती को निरस्त कर दोबारा से लिखित परीक्षा कराने के आदेश दिए थे। आयोग ने 25 फरवरी 2018 को दूसरी बार परीक्षा कराई। पूर्व परीक्षा में चयनित हुए 196 उम्मीदवारों में से दूसरी परीक्षा में केवल आठ का चयन हुआ था।