कोरोना के बाद अब महाराष्ट्र पर गहरा सकता है बिजली संकट, बिजली कर्मचारियों ने…

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केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच द्वारा निजीकरण के विरोध में हड़ताल शुरू की गई है। इस हड़ताल का असर देश के कई राज्यों में देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि इसका असर अब महाराष्ट्र में भी दिखने को मिल रहा है। इन दिनों पूरा राज्य बिजली संकट का सामना कर सकता है, इसके पीछे की वजह बिजली कर्मचारियों की हड़ताल है। बताते चले कि इस हड़ताल में सभी बिजली कर्मचारियों ने भी शामिल होने का ऐलान कर दिया है। कर्मचारियों की हड़ताल से पूरी राज्य सरकार में हड़कंप मच गया है।

इस हड़ताल को रोकने के लिए राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने यूनियन नेताओं से बातचीत का इसको खत्म करने की सलाह दी, लेकिन कर्मचारी अब भी अपनी मांग के लिए हड़ताल कर रहे हैं। ये हड़ताल निजीकरण के विरोध में की जा रही है। सोमवार को नितिन राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले को संभालने की कोशिश की और सबको यकीन दिलाया कि राज्य सरकार निजीकरण नहीं करने जा रही है। जानकारी के अनुसार इस कान्फ्रेस के बाद मंत्री एक बैठक भी करना चाहते थे, लेकिन जब यूनियन नेताओं ने हड़ताल खत्म न करने का फैसला सुनाया तो उन्होंने इस बैठक को रद्द कर दिया।

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बताया जा रहा है कि हड़ताल में करीब पांच हजार लोगों ने हिस्सा लिया है और सभी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। एक अधिकारी का कहना है कि “महाराष्ट्र आवश्यक वस्तु सेवा प्रबंधन अधिनियम (मेस्मा) लागू करने की चेतावनी देने के एक दिन बाद राउत ने हड़ताल कर रहे कर्मियों के साथ डिजिटल माध्यम से एक बैठक की और उन्हें आश्वासन दिया कि किसी भी निगम का निजीकरण नहीं किया जाएगा।” बता दें कि मंत्री नितिन की बात न सुनने पर उन्होंने हड़ताली कर्मचारियों पर मेस्मा लगाने की चेतावनी दी थी।