ममता की पेशकश कांग्रेस-लेफ्ट ने ठुकराई

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कोलकाता – कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) ने बीजेपी के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ने की अपील ठुकरा दी है। बंगाल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने कहा, “हम बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं लेकिन इसके लिए हमें तुम्हारी (टीएमसी की) मदद की जरूरत नहीं है।” मन्नान पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।

टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए मन्नान ने कहा, “तुम उनसे (बीजेपी) कम नहीं हो। जो तुम बंगाल में कर रही हो, वही बीजेपी दिल्ली में कर रही है। दोनों पार्टियों के बीच कोई फर्क नहीं है।” 2016 विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने वाली सीपीआई-एम ने ममता बनर्जी पर साम्प्रदायिक राजनीति को बंगाल में दाखिल कराने का आरोप लगाया।

सीपीआई-एम विधायक सुजान चक्रवर्ती ने कहा, “बंगाल में बीजेपी के उभार के लिए कौन जिम्मेदार है? पहले लोगों के सामने वो अपनी गलती को स्वीकार करें, उसी के बाद हम विचार करेंगे कि हमें क्या करना चाहिए। वो अच्छी तरह समझ गई हैं कि उनकी पार्टी बची नहीं रहेगी। ऐसी पार्टी जिसके खुद के वजूद पर सवालिया निशान लगा हुआ हो, वो दूसरों से गठजोड़ की पेशकश कैसे कर सकती है। ये डूबता जहाज़ है।”

चक्रवर्ती ने दावा किया- “बंगाल में लेफ्ट के शासन के दौरान बीजेपी कभी सिर नहीं उठा सकी। यहां तक कि कांग्रेस के शासन में भी ऐसा ही हुआ। सिर्फ हम ही बीजेपी का प्रतिरोध कर सकते हैं क्योंकि ये साफ हो गया है कि बीजेपी को टीएमसी के शासन में ही बंगाल में फलने-फूलने का मौका मिला। चक्रवर्ती ने ये आरोप भी लगाया कि ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले फेडरल फ्रंट का राग इसलिए छेड़ा क्योंकि वो प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश पाले हुए थीं।

लेफ्ट और कांग्रेस के इस साझा हमले का जवाब टीएमसी की ओर से बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्था चटर्जी ने दिया। उन्होंने ममता बनर्जी के विधानसभा में दिए बयान को ही दोहराया- ” वो हमेशा कहती रही हैं कि साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ सभी को एकजुट होना चाहिए। लेकिन लोकसभा चुनाव में देखा कि तीनों पार्टियां यहां हमारे खिलाफ लड़ीं। बंगाल के लोग अब ये फैसला करेंगे कि क्या वो इस तरह के साम्प्रदायिक जहर को राज्य में चाहते हैं।