नाजायज है सुकन्या समृद्धि योजना : जमीयत उलेमा ए हिंद

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नई दिल्ली – जमीयत उलेमा ए हिंद का इदारा मुबाहिश फिकहीया का तीन दिवसीय सम्मेलन मदनी हाल केंद्रीय कार्यालय जमीयत उलेमा ए हिंद नई दिल्ली में विभिन्न चरणों में संपन्न हुआ। जिसकी अलग अलग पालियों की अध्यक्षता मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद मौलाना हबीबुर्रहमान खैराबादी मुफ्ती आजम दारुल उलूम देवबंद। मौलाना नेमतुल्लाह आजमी अध्यापक हदीस दारुल उलूम देवबंद। मुफ्ती सईद अहमद पालनपुरी शेख उल हदीस दारुल उलूम देवबंद ने की।

सम्मेलन में दारुल उलूम देवबंद। नदवातुल उलेमा लखनऊ और जामिया कासमियां शाही मुरादाबाद सहित देश लग भाग 200 इस्लामी विद्वान मौजूद रहे ।जिन्होंने विभिन्न विषयों पर इस्लामी दृष्टिकोण परिदृश्य में विस्तृत चर्चा करके अनेक निर्णायक फैसले किए। सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव में सरकार के माध्यम से लड़कियों के लिए लांच की गई सुकन्या समृद्धि योजना को ब्याज आधारित होने के कारण नाजायज (अवैध) करार दिया गया जबकि इसी प्रस्ताव की धारा प्रथम में नवजात बच्ची (लड़की) की एक दूसरी सरकारी योजना को उचित करार दिया गया है प्रस्ताव में कहा गया है कि ” (१) सरकार कुछ स्कीमों के तहत नवजात बच्ची के नाम पर बैंक में एक निर्धारित धनराशि जमा करती है जिसमें स्वयं लड़की या उसके संरक्षक को प्रयोग करने का अधिकार (हक) नहीं होता फिर एक अवधि के बाद सरकार ही की तरफ से इस लड़की के खाते में और अधिक धनराशि की बढ़ोतरी कर दी जाती है लड़की या उसके मां बाप की तरफ से बैंक में कोई रकम जमा नहीं की जाती तो यह पूरी रकम सरकार का सहयोग है। इसलिए ये जाएज़ है।

(२) सुकन्या समृद्धि योजना या इस जैसी दूसरी स्कीमों जिन में 10 साल से कम उम्र की लड़की के मां बाप उसके नाम से बैंक में खाता खोलकर एक निर्धारित रकम एक विशेष आयु तक जमा कराते हैं और बैंक इस जमा राशि पर वार्षिक 9% या कुछ कम या अधिक बढ़ोतरी करता है तो इस स्थिति में मां-बाप की तरफ से लड़की को मालिक बना कर जमा राशि पर बैंक की तरफ से जो बढ़ोतरी होगी वह ब्याज होने के कारण नाजायज (अवैध) होगा इसी प्रस्ताव में पशुपालन के लिए सरकार बिना ब्याज वाला कर्ज और डेबिट कार्ड प्रयोग करने पर कंपनी की तरफ से जो कैशबैक मिलता है वह जाईज करार दिया गया है।

इंटरनेट के माध्यम से लेन-देन आदि की कुछ आधुनिक सुविधाओं से संबंधित एक प्रस्ताव में कंपनियों का गूगल ऐडसेंस के माध्यम से विभिन्न चीज़ों। सेवाओं का प्रचार प्रसार प्रयोग करने का मामला जायज बताया गया है लेकिन फिल्म और हराम प्रोग्रामओं पर विज्ञापन देना इस्लामी दृष्टिकोण से नाजायज है इसी प्रस्ताव की एक धारा में एप्स (इजी पैसा पेटीएम) आदि के माध्यम से लेन-देन और धन राशि का ट्रांजैक्शन पर कैशबैक या पॉइंट आदि के नाम से जो रकम मिलती है वह एक तरह का इनाम है जिससे लाभ उठाना जाइज है।

मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से टैक्सी आदि किराए पर लेने को भी शरन जाइज करार दिया गया है और गाड़ी मालिक व ड्राइवर को मिलने वाला बोनस कंपनी की तरफ से एक तरह का इनाम है जिसे लेना शरन जायज है और गाड़ी बुक करने के बाद रद्द करना या न लेने की स्थिति में कंपनी का नियमानुसार शुल्क वसूल करना बुकिंग फीस है जिसकी इजाज़त है।

इस सम्मेलन में सभी वक्ताओं इस्लामिक स्कॉलर्स को आधुनिक वर्तमान काल के हालात ।आवश्यकताओं समस्याओं पर दूरदर्शी समाधान और अपने फतवो के नवीकरण का मश्वरा दिया । मौलाना नेमतुल्लाह आजमी ने कहा कि विभिन्न विषयों के अध्याय में बढ़ोतरी और सरलता पैदा करने के लिए हनफ़ी मसलक के अलावा अगर किसी इमाम के कथन से समस्या का समाधान होता है तो उसका लाभ लिया जाना चाहिए। मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने भी आवश्यकतानुसार किसी और मसलक से लाभ लेने का समर्थन किया। मुफ्ती सईद अहमद पालनपुरी ने तकलीद शक्सी पर जोर दिया। मगर उन्होंने में नए मसलों में सरलता अपनाने की दावत दी। मौलाना हबीबुर्रहमान खैराबादी ने मसला बताने से पहले संबंधित विषय में जानकारी से सहायता लेने पर बल दिया और कहा कि मुफ्ती के लिए ज्ञान और जागरूकता आवश्यक है। सम्मेलन को जिन लोगों ने विशेष रूप से संबोधित किया उनमें जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी। मौलाना मोहम्मद ज़ैद मजाहिरी। मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी। मौलाना मतीन उल हक ओसामा कानपुर आदि के नाम प्रमुख हैं।

अंत में अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिन्द कारी मोहम्मद उस्मान मंसूरपूरी ने सम्बोधित करते हुए जमीअत की दिनी खिदमत पर प्रकाश डाला। जमीअत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने सब मेहमानों का धन्यवाद अदा करते हुए देश विदेश के हालात पर विचार प्रकट किये । सभी अतिथियों ने अच्छी व्यवस्था और मेहमान नवाजी के लिए मौलाना महमूद मदनी और उनके साथ लगी पूरी टीम की प्रशंसा की । सम्मलेन के सरे चरणों का संचालन मौलाना अब्दुर्रज़्ज़ाक़ अमरोही और मुफ़्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी ने किया। जबकि मौलाना मुइज़ुद्दीन अहमद ने सारे प्रोग्राम की व्यवस्था संभाली। सम्मेलन कई किताबों का विमोचन भी किया गया।