कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए देशव्यापी लॉकडाउन में सबसे अधिक समस्या प्रवासी मजदूरों को हुई है।ज्ञात हो कि,उत्तर प्रदेश और बिहार के भारी संख्या में मजदूर गुजरात दिल्ली मुंबई काम की तलाश में जाते हैं, ऐसे में सभी कार्य अचानक से रुक जाने के कारण वह आर्थिक रूप से बेहद क’मजोर हो गए और उन्हें राज्य सरकार से वापस लाने की गुहार करने पड़ी।ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो मज़दूर वापस आ गए हैं ,उन्हें राज्य सरकार से इसकी इजाजत लेनी होगी।इसके अलावा उन कामगारों के सामाजिक, कानूनी और आर्थिक अधिकार सुनिश्चित करने होंगे।
दरअसल,यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध प्रकाशनों ‘पांचजन्य’ और ‘ऑर्गेनाइजर’ से बातचीत में कहा, “वे हमारे लोग हैं।अगर कुछ राज्य उन्हें वा’पस बुलाना चाहते हैं तो उन्हें राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी।” उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पहुंचे प्रवासी कामगारों से मिली प्रतिक्रिया से यह समझ में आया कि सबसे ज्यादा ध्यान और महत्व उनके अधिकारों की रक्षा पर देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि “सभी प्रवासी कामगारों का पंजीयन किया जा रहा है और उनके कौशल का लेखा-जोखा रखा जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि,उन्होंने कहा, “ये कामगार हमारे सबसे बड़े संसाधन हैं और हम उन्हें उत्तर प्रदेश में रोजगार देंगे।राज्य सरकार उन्हें रोजगार मुहैया करवाने के लिए प्र’वासी आयोग गठित करेगी।”
इसके साथ ही उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि,”प्रवासी मज़दूरों के लिए प्र’वासी आयोग बनाया जाएगा,जिसमें प्र’वासी कामगारों के अधिकारों से जुड़े कई कारकों जैसे उनका शो’षण रोकना और उन्हें सामाजिक, आर्थिक तथा कानूनी मदद मुहैया करवाने के लिए आधिकारिक रूपरेखा प्रदान करना इसका काम होगा।साथ ही उन्होंने कहा, ‘बीमा, सामाजिक सुरक्षा, पुन: रोजगार सहायता, बे’रोजगारी भत्ते का प्रावधान आदि पर आयोग विचार करेगा।”
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि,सरकार ले सहयोग से अलग-अलग राज्यों से अब तक 23 लाख प्रवासी मजदूर अपने गृह जनपद में आ चुके हैं, जिसमें से 75 फ़ीसदी मुंबई और 50 फीसदी दिल्ली में काम करते थे। उन्होंने कहा कि,लॉ’कडाउन खत्म होते ही सरकार इन मजदूरों के लिए अपने प्रदेश में ही रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी और केंद्र सरकार के साथ मिलकर तरह तरह की योजनाओं को प्रदेश में बढ़ावा देंगी।