म्यांमार के रख़ाइन प्रांत में बीते दो दिनों से जारी हिंसा की वजह से हज़ारों की संख्या में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमान जान बचाकर बांग्लादेश सीमा की ओर भाग रहे हैं जबकि बांग्लादेश के सीमा सुरक्षा बल उन्हें वापस म्यांमार की ओर खदेड़ रहे हैं।
म्यांमार के सबसे ग़रीब प्रांत रख़ाइन में दस लाख से अधिक रोहिंग्या रहते हैं जिन पर म्यांमार सरकार ने कई तरह के प्रतिबन्ध लगा रखा है जिनकी वजह से रोहिंग्या समुदाय का रुझान कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहा है। बौद्ध बहुल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर लगे प्रतिबंधों की वजह से यहां कई सालों से रोहिंग्या और बौद्धों के बीच संघर्ष चल रहा है। इसी के तहत शुक्रवार को रोहिंग्या लड़ाकों ने तीस पुलिस थानों पर एक साथ हमले कर दिए जिसके बाद शुरू हुई हिंसा शनिवार को भी जारी रही। इस बीच पोप फ्रांसिस ने अपील की है कि रोहिंग्या मुसलमानों का शोषण बंद होना चाहिए। रोहिंग्या लोग म्यांमार सरकार पर नस्लीय हिंसा का आरोप लगाते रहे हैं उनका कहना है कि बौद्ध लोग रोहिंग्या मुस्लिमों का ख़ात्मा चाहते हैं। इस बीच पोप फ्रांसिस ने अपील की है कि रोहिंग्या मुसलमानों का शोषण बंद होना चाहिए।
हाल के दिनों में क़रीब तीन हज़ार रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचने में कामयाब रहे हैं जहां उन्होंने कैंपों और गांवों में शरण ले रखी है। जान बचाकर बांग्लादेश जा रहे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार की ओर खदेड़ रही बांग्ला देश पुलिस के एक कर्मी ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि शनिवार को उन्होंने 70 रोहिंग्या लोगों को ज़बरदस्ती म्यांमार वापस भेजा है, ये लोग बांग्लादेश में घुस आए थे और राहत कैंप जाने की कोशिश कर रहे थे। पुलिसकर्मी के मुताबिक ये लोग वापस म्यांमार न भेजे जाने की गुहार लगा रहे थे। राहत कैंप में मौजूद एएफ़पी के संवाददाता के मुताबिक यहां पहुंच रहे लोग डर और दहशत की कहानियां सुना रहे हैं।
सत्तर साल के एक बुज़ुर्ग मोहम्मद जफ़र ने बताया कि हथियारबंद बौद्ध समूहों ने उनके दोनों बेटों की हत्या कर दी। इन लोगों लोगों का समूह लाठियों और डंडों के साथ आया था। एक अन्य 61 वर्षीय आमिर हुसैन ने कहा, “हमारी जान बचा लीजिए, हम यहीं रहना चाहते हैं नहीं तो वो हमें मार देंगे।”