एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि वह एक्ट के खिलाफ नहीं है लेकिन निर्दोषों को सजा नहीं मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं उन्होंने हमारा आदेश पढ़ा भी नहीं है। हमें उन निर्दोष लोगों की चिंता है जो जेलों में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट की खुली अदालत में केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल की याचिका पर जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच सुनवाई कर रही है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर फैसला देते हुए इन मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। एक्ट में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया था। भारत बंद के दौरान दलित आंदोलन हिंसक हो गया और अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है।
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी की परिस्थिति काफी मुश्किल है, ये एक तरह के इमरजेंसी हालात हैं। 10 लोग अभी तक मर चुके हैं, हज़ारों-करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हो गया है। इसलिए केंद्र सरकार की ये अपील है कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए।
गौरतलब है पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी। जबकि मूल कानून में अग्रिम जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पहले डिप्टी एसपी या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी आरोपों की जांच करेगा और फिर कार्रवाई होगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था।