SC ने NCPCR की मांग को किया खारिज, मदरसों से जुड़ा है मामला

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सुप्रीम कोर्ट (SC) ने बाल अधिकार संस्था एनसीपीसीआर की सिफारिशों पर सोमवार को रोक लगा दी। ऐसे में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करने वाले मदरसों को भी राज्य से मिलने वाली फंडिंग जारी रहेगी। साथ ही, एससी ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजने के संबंध में NCPCR की सिफारिश खारिज कर दी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आज इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। इस दौरान SC ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों को भी सुना, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के संचार और कुछ राज्यों की परिणामी कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है।

कानूनगो ने कहा कि गरीब पृष्ठभूमि के मुस्लिम बच्चों पर अक्सर धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के बजाय धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए दबाव डाला जाता है। उन्होंने कहा कि वह सभी बच्चों के लिए शिक्षा के समान अवसरों की वकालत करते हैं।

दरअसल, एनसीपीसीआर ने एक हालिया रिपोर्ट में मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई थी। इस आधार पर एक्शन लेने की मांग की गई। हालांकि, इस रिपोर्ट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। सत्तारूढ़ भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया गया।