राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमले बोले। महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरा। राहुल ने कहा कि देश में लोकतंत्र की जो मौत हुई, उससे आपको कैसा लग रहा है? जिस लोकतंत्र को 70 सालों में बनाया गया, उसे आठ साल में खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा, देश में आज लोकतंत्र नहीं है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, आज देश में सिर्फ चार लोगों की तानाशाही है। हम महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन हमें जेल में डाल दिया जाता है। हमें संसद में बहस नहीं करने दी जा रही।
राहुल गांधी ने कहा, जब हमारी सरकार थी तब केंद्रीय एजेंसियां और अन्य संवैधानिक संस्थाएं निष्पक्ष होती थीं। इन्हीं के सहारे विपक्ष खड़ा होता है, लेकिन भाजपा सरकार ने सभी एजेंसियों और संस्थाओं को अपने कब्जे में कर रखा है। कांग्रेस नेता ने कहा, मैं जितना सच बोलता जाऊंगा, उतना मुझ पर आक्रमण होगा। लेकिन मैं अपना काम करूंगा, महंगाई पर बात करूंगा, बेरोजगारी पर बात करूंगा। जितना इन सबके खिलाफ बोलूंगा, उतना मुझ पर आक्रमण होगा। ये सिर्फ हमारे लिए नहीं है। सभी के साथ है, जो भी सरकार के खिलाफ बोलता है, उसे केंद्रीय एजेंसियों से डराया जाता है। यह बात लोगों को अभी समझ नहीं आ रही है, लेकिन एक दिन समझ आएगी।
राहुल गांधी ने कहा कि ये लोग गांधी परिवार पर हमले क्यों करते हैं? क्योंकि, गांधी परवार एक विचारधारा के लिए लड़ता है। देश में हिंदू-मुसलमान को बांटा जाता है, तब हमें दर्द होता है। महिलाओं के साथ अत्याचार होता है, तब हमें दर्द होता है। उन्होंने कहा, हमारी लड़ाई सौहार्द बनाने के लिए है। मेरे परिवार ने इसके लिए जान दी है।
राहुल गांधी ने कहा, जर्मनी की सभी संस्थाएं हिटलर के हाथ में थीं। वह भी चुनाव जीतता था। आज हिंदुस्तान की सभी संस्थाएं आरएसएस के हाथ में हैं। मुझे पूरा ढांचा दे दो, फिर मैं बताता हूं। उन्होंने कहा, हम सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी से नहीं लड़ रहे हैं। हम हिंदुस्तान के पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर से लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज सबसे ज्यादा बेरोजगारी भारत में हैं। पेट्रोल-डीजल से लेकर हर चीज के दाम बढ़े हुए हैं, लेकिन वित्त मंत्री को महंगाई के एक आंकड़े दिख ही नहीं रहे हैं। किसी भी गांव या शहर में जाकर देख लीजिए, लोग बता देंगे महंगाई कहां है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वित्तमंत्री जिस मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल की बात कर रही हैं, वह कुछ और है। मुझे नहीं लगता कि वित्त मंत्री को भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में कोई समझ है या फिर वह एक मुखपत्र हैं।