सीनियर वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अदालत की अवमानना (Contempt of Court) को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुना दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के खिलाफ सज़ा सुना दी गई है। कोर्ट द्वारा प्रशांत भूषण पर 1 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत द्वारा कहा गया कि, भूषण ने 15 सितंबर तक फाइन नहीं भरा, तो उन्हें 3 महीने की जेल होगी। साथ ही 3 साल के लिए प्रैक्टिस पर रोक लगा दी जाएगी। इस बीच खबर है कि सुप्रीम कोर्ट की सजा पर प्रशांत भूषण 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।
अदालत की अवमानना का ये मामला वर्तमान और पूर्व चीफ जस्टिस के बारे में भूषण द्वारा किए गए विवादित ट्वीट का है। कोर्ट द्वारा 14 अगस्त को इन ट्वीट पर प्रशांत भूषण के स्पष्टीकरण को अस्वीकार करते हुए उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया गया था। प्रशांत भूषण को कोर्ट द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से मना कर दिया था। प्रशांत भूषण के खिलाफ जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mirhra) की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा सज़ा तय की गई। भूषण के लिए सजा का ऐलान करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा कहा गया कि- “जजों को प्रेस में नहीं जाना चाहिए। अदालत के बाहर जजों द्वारा कही गई बातों पर भरोसा करना स्वीकार्य नहीं है।” अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत सजा के तौर पर अधिक से अधिक 6 महीने तक की कैद या 2000 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान है।
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच द्वारा कहा गया कि, भूषण ने अपने बयान से पब्लिसिटी पाई, उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया। 25 अगस्त को अदालत द्वारा उनकी सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। शीर्ष अदालत द्वारा प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से राय मांगी गई थी, जिस पर वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए और स्टेस्टमैन का संदेश देना चाहिए।