पोप ने म्यांमार में सभी के लिए अधिकार मांगे, ‘रोहिंग्या’ का जिक्र नहीं किया

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म्यांमार और बांग्लादेश के करीब एक सप्ताह के दौरे के दौरान सोमवार को म्यांमार की राजधानी पहुँचे पोप फ्रांसिस ने आंग सान सू और अन्य नेताओं तथा राजनयिकों की मौजूदगी में रोहिंग्या मुसलमानों का परोक्ष रूप से समर्थन करते हुए जोर देकर कहा कि म्यांमार का भविष्य हर जातीय समूह के अधिकारों के सम्मान पर निर्भर करता है। फ्रांसिस ने अपने भाषण में सैन्य अभियान का जिक्र नहीं किया और ना ही ‘रोहिंग्या’ शब्द बोला। लेकिन उन्होंने दुख प्रकट किया कि किस तरह म्यांमार के लोग असैन्य संघर्षों तथा परेशानियों से पीड़ित रहे और अब भी पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई जो म्यांमार को अपना घर कहता है, वह मूलभूत मानवाधिकारों तथा गरिमा का हकदार है।

अपने बहुप्रतीक्षित भाषण में फ्रांसिस ने दशकों की सैन्य तानाशाही के बाद विभिन्न समुदायों के बीच सामन्जय बैठाने के लिए सू ची के प्रयासों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बौद्ध बहुल देश में धार्मिक विविधताएं अविश्वास या विभाजन का कारण नहीं बननी चाहिए।

बता दें कि रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार में दशकों से भेदभाव और हालिया सैन्य अभियान का शिकार हुए हैं। इस सैन्य अभियान को संयुक्त राष्ट्र ने ‘जातीय सफाया’ करार दिया है।