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उत्तराखंड से रहा पदमश्री सुरेश चतुर्वेदी का लगाव।
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21 वीं शताब्दी आयुर्वेद का युग होगा, जो अब पूरा होता हुआ दिखाई दे रहा है।
देहरादून/ मुंबई: पद्मश्री दिवंगत वैद्य सुरेश चतुर्वेदी ने ये विश्वास व्यक्त किया था कि 21 वीं शताब्दी आयुर्वेद का युग होगा, जो अब पूरा होता हुआ दिखाई दे रहा है। ये बात आरोग्य संस्थान ट्रस्ट ने पद्मश्री वैद्य सुरेश चतुर्वेदी की जन्म जयंती के अवसर पर 14 मई को वसई, महाराष्ट्र स्थित ‘आरोग्य निकेतन’ में आयोजित समारोह में कही। उल्लेखनीय है कि पदमश्री सुरेश चतुर्वेदी, विख्यात ब्लिटज और नूतन सवेरा के संपादक के साथ श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे दिवंगत नंदकिशोर नौटियाल के बेहद करीबी रहे। उनका उत्तराखंड से भी अच्छा खासा लगाव था। उत्तराखंड हिमालय में औषधीय जड़ी बूटियों की खान बताते थे।
अपने जीवन काल में उन्होंने कई बार हरिद्वार ऋषिकेश सहित श्री बदरीनाथ एवं केदार धाम सहित गंगोत्री यमुनोत्री की यात्रा भी की। समारोह में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राम नाईक ने स्व. पद्मश्री वैद्य सुरेश चतुर्वेदी की प्रतिमा का अनावरण और उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘आयुर्वेद और कैंसर’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी विद्यानंद सरस्वती ने वैद्य सुरेश चतुर्वेदी की पत्नी की स्मृति में सुधा चतुर्वेदी हॉल’ का उद्घाटन कर वैद्य जी को अपनी भावांजलि अर्पित की और उनसे जुड़े संस्मरण सुनाये।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि वैद्य सुरेश चतुर्वेदी से उनके संबंध बहुत पुराने और घनिष्ठ रहे हैं। उनका उद्देश्य राष्ट्र को समर्पित था, इसीलिए आयुर्वेद को उन्होंने शीर्ष स्थान तक पहुंचाने में हर संभव प्रयास किया। नाईक ने बताया कि आपातकाल के दौरान वर्ष 1975 में यहीं आरोग्य निकेतन में उन्होंने कार्यकर्ताओं की पहली बैठक आयोजित की थी। उन्होंने ट्रस्टियों को सुझाव दिया कि ‘आयुर्वेद और कैंसर’ पुस्तक का अन्य भाषाओं में अनुवाद कर प्रकाशित किया जाय।
इससे पूर्व ट्रस्टी श्रीकांत चतुर्वेदी ने अतिथियों का स्वागत किया और विश्वास व्यक्त किया कि समाज के हर वर्ग के सहयोग से ये संस्थान आयुर्वेदिक चिकित्सा क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएगा। वैद्य चतुर्वेदी जी के पुत्र और मैनेजिंग ट्रस्टी पियूष चतुर्वेदी ने संस्थान की विभिन्न गतिविधियों के सम्बन्ध में बताया। आयुष मंत्रालय के सलाहकार वैद्य मनोज नेसारी और एनसीआईएसएम (आयुष मंत्रालय) के वैद्य राकेश शर्मा ने आयुर्वेद चिकित्सा में हुई प्रगति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आज के समय में आयुर्वेद सबसे प्रभावी चिकित्सा पद्धति मानी जा रही है। कोरोना के समय में हमने इसे सिद्ध कर दिखाया है, जिससे लोगों में आयुर्वेद के प्रति विश्वसनीयता बढ़ी है।
सुप्रसिद्ध अभिनेता विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना ने बताया कि कैंसर से जूझते उनके पति को डॉक्टरों ने जो इलाज बताया था, वो इतना दर्दनाक था कि उससे घबराकर जीवन का अंतिम समय वो श्री श्री रविशंकर जी की शरण में बिताने चले गये थे। उन्हें अपने जीवन की कोई आशा नहीं रह गई थी। तब वहीं पर वैद्य सुरेश चतुर्वेदी जी ने उनका इलाज किया और दो साल बाद जांच कराने पर पता चला कि अब उनमें कैंसर के कोई लक्षण नहीं है। इस अवसर पर आए हुए शुभ संदेशों का वाचन ट्रस्टी वैद्य महेंद्र चतुर्वेदी ने किया और सबके प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अश्विनी कुमार जोशी ने किया।
समारोह में आरोग्य निकेतन के विशिष्ट सहयोगियों को सम्मान पत्र देकर उनके कार्यों की सराहना की गई। इस अवसर पर प्रो. कोहली, पूर्व निदेशक, आयुष मंत्रालय, डी. बागड़े, चेयरमैन ट्रांसरेल लाइटिंग, प्रवीण कुमार राजू, कार्यकारी निदेशक, इकोबोर्ड इंडस्ट्रीज, जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली सहित नूतन सवेरा फाउंडेशन के निदेशक राजीव नौटियाल आदि गणमान्य जन और काफ़ी संख्या में आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े लोग उपस्थित थे।