देहरादून : नवीन चकराता टाउनशिप को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। चर्चा होने के कई कारण हैं। क्यों ये टाउनशिप इतनी चर्चा में है, इसके बारे में भी बताएंगे। लेकिन, उससे पहले यह बताना जरूरी है कि आखिर ये आइडिया आया कहां से और किसने इसका सपना देखा था। नवीन टाउनशिप का सफर कोई एक-दो दिन का नहीं। बल्कि, इसके पीछे 25 सालों का संघर्ष है। यह सपना 25 साल पहले देखा गया था, जो अब साकार होने जा रहा है।
1997 से शूरू हुआ संघर्ष
चकराता नवीन टाउनशिप का सपना रामशरण नौटियाल ने 1997 में देखा था। तब से उनका प्रयास लगातार जारी रहा। समय-समय पर वे नवीन चकराता टाउनशिप की मांग को उठाते रहे। इतना ही नहीं जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने इसका शिलान्यास भी किया था। टाउनशिप मसूरी जैसा खूबसूरत शहर बसाने का प्लान है। उसको लेकर जो भी योजनाएं बनाई गई थी, उनको धरातल पर उतारने का काम अब शुरू हो गया है।
साकार हुआ सपना
चकराता नवीन टाउनशिप को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद भाजपा नेता रामशरण नौटियाल ने कहा कि जौनसार बावर की जनता ने नवीन चकराता टाउनशिप को लेकर जो सपना कई वर्षों 1997 में देखा था, वह 25 वर्षों के संघर्ष के बाद आज साकार हो गया। मसूरी-चकराता राष्ट्रीय राज मार्ग पर सुनियोजित तरीके से नवीन चकराता टाउनशिप को विकसित किये जाने का निर्णय आज हमारी सरकार ने लिया है।
CM धामी का आभार
उन्होंने कहा कि इसके लिए मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार प्रकट करता हूं। इसके लिए टाउनशिप की स्वीकृति और मास्टर प्लान तैयार करने के लिए 2 करोड़ रूपये की धनराशि देने की घोषणा की गई थी। उनका कहना है कि यह एक अलग ही तरह की टाउनशिप होगी, जहां पर्यटन की अपार सम्भावनाएं है। एक ओर जहां स्थानीय लोग अपनी भूमि पर कुछ न कुछ पर्यटन और अन्य व्यवसाय कर सकेंगे। वहीं, दूसरी ओर इस क्षेत्र में बंजर पड़ी सैकड़ों हैक्टेयर भूमि पर कई सरकारी और गैर सरकारी पर्यटन के साथ ही जन सुविधाओं से सम्बन्धित अन्य कई योजनाएं विकसित की जा सकेंगी।
खुलेंगे रोजगार के द्वार
इससे स्थानीय बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार के कई राहें खुलेंगी। इस टाउनशिप की एक विशेषता यह होगी कि इसके अन्तर्गत जहां एक ओर पुरोड़ी से लेकर नागथात तक हिमालय की हिम आच्छादित पर्वत श्रृंखला का आनन्द पर्यटक ले सकेंगे। दूसरी ओर जल क्रीड़ा और अन्य साहसिक पर्यटन का आनंद लेने के लिये 15 किलोमीटर से भी अधिक लम्बी निर्माणाधीन लखवाड़ डैम की झील भी अति उपयोगी साबित होगी।
पहुंचने में आसानी
दिल्ली से आने वाले पर्यटकों को जहा मसूरी-चकराता राष्ट्रीय राजमार्ग की सुविधा पहले से ही है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व हिमाचल से आने वाले पर्यटकों के लिए भी यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग, विकासनगर- कालसी विराटखाई और विकासनगर-साहिया-चकराता राजमार्ग पूर्व से ही निर्मित है। मसूरी से भी लोग यहां आसानी से पहुँच सकते हैं।
2096 मीटर की ऊंचाई पर
चकराता, गढ़वाल मण्डल के देहरादून जनपद की तहसील चकराता का मुख्यालय, समुद्र सतह से लगभग 2096 मीटर की ऊंचाई पर 30 डिग्री 41° उत्तरी अक्षांश तथा 77 डिग्री 52° पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। यह उल्लेखनीय है कि चकराता नगर मुख्यतः सैनिक एवं सुरक्षा गतिविधियों का केन्द्रीय स्थल होने के कारण मूलतः छावनी नगर है। चकराता छावनी वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार “सी” श्रेणी का नगर है जिसका विस्तार लगभग 15.98 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, जनसंख्या मात्र 5117 व्यक्तियों तक ही सीमित है।
हवाई पट्टी भी नजदीक
प्राकृतिक दृश्यावलियों के मध्य एवं पर्वतीय श्रृंखला पर बसा यह नगर, प्रान्तीय राजधानीतथा जिला मुख्यालय देहरादून से लगभग 93 किलोमीटर दूर स्थित है। राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या 707 A द्वारा प्रदेश के विभिन्न नगरों से संबन्ध है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून तथा जौलीग्रांट स्थित हवाई पट्टी 93 और 120 किलोमीटर दूरी पर है।
1866 में अंग्रेजों ने बसाया था
चकराता छावनी का वर्तमान स्वरूप 1866 में ब्रिटिश शासकों द्वारा इस कार्यकलाप हेतु विकसित किये जाने एवं वर्ष 1869 तक पूर्ण रूप से ब्रिटिश सैनिक टुकड़ियों का केन्द्रीय स्थल स्थापित होने को है। यद्यपि इसी रूप से विकास के पदार्पण का ही प्रमाणिक विवरण उपलब्ध है तथापि प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार चकराता के वर्तमान पोलोग्राउंड के स्थान पर स्थित जलाशय पर चकोर पक्षियों के झुण्ड द्वारा उपयोग एवं समीपवर्ती क्षेत्र में स्थायी रक्षा का उपयोग संयुक्त रूप से इस क्षेत्र को चकोरथात अर्थात चकोरों का स्थल (धात) के रूप से प्रचलित होने एवं कालांतर में यह नाम अपभ्रंस होकर चकरौता अथवा चकराता व्यहर्त होने लगा ।
तहसील मुख्यालय बना
1870 के आसपास सैनिक गतिविधियों से जुड़े कार्यकलाप र चिकित्सालय एवं नगर की भौगोलिक स्थिति से आकर्षित हो समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों की जनसंख्या भी कतिपय रूप से आजीविका के स्त्रोत उपलब्ध होने के कारण आकर्षित होने लगी। लगभग ब्रिटिश प्रशासन द्वारा नगर की विशिष्ट परिस्थितियों एवं उपयोग को दृष्टिगत रखकर प्रशासनिक कार्यकलाप भी विकसित करना प्रारंभ कर दिये गए और इसे चकराता तहसील का मुख्यालय भी बना दिया गया। चकराता में विकासखण्ड मुख्यालय, सार्वजनिक निर्माण विभाग का उपखण्डीय मुख्यालय, चकराता एवं टौस वन प्रभाग का मुख्यालय तथा अपनी विशिष्ट वन संपदा के कारण भारतीय वन अनुसंधान का उपकेन्द्र भी छावनी क्षेत्र से प्राप्त सीमित स्थल में स्थापित हो गए।
टाउनशिप समिति की टिप्पणी
विकास की उपर्युक्त संभावनाओं को दृष्टिगत कर यह अनुमान तार्किक है कि नवीन चकराता टापनशिप में भौतिक विकास एवं निर्माण कार्य तीव्र गति से होगें। इस संभावित तीव्र भौतिक विकास के अनियंत्रित एवं अनिर्देशित रहने से न केवल भावी नगरीय प्रतिरूप के विकृत होने की पूर्ण आशंका रहेगी, अपितु सुविधाओं एवं सेवाओं के प्रावधान भी स्थलीय एवं कार्यात्मक मानकों के अनुरूप नहीं रह पाएंगे। इन आशंकाओं को अधिक विषय स्थिति अनियंत्रित व अनिर्देशित निर्माण से संवेदनशील स्थलों, वन, कृषि एवं ढालदार भूमि के अतिक्रमण से होने वाली पर्यावरण एवं पारिस्थितिक क्षति उत्पन्न होगी। नवीन चकराता टाउनशिप को नगर नियोजिक के मानको के रूप में इस प्रकार से विकसित किया जाए कि प्रस्तावित नवीन चकराता टाउनशिप क्षेत्र की सीमा राजस्व ग्रामों से हठकर बाहर की ओर इतनी दूरी पर रखी जाये कि विकास के साथ-साथ ग्रामीणों की अलग सामाजिक एवं पौराणिक सांस्कृतिक पहचान भी बची रह सके।
इन गावों का आंशिक हिस्सा होगा शामिल
इसके दृष्टिगत प्रस्तावित “नवीन चकराता टाउनशिप में पड़ने वाले सभी गाँवो को आंशिक रूप से ही सम्मिलित किये जाने प्रस्तावित किये गये हैं। इस प्रकार नवीन चकराता टाउनशिप में सम्मिलित किये जाने वाले तहसील चकराता के ग्राम ठाणा, डुगरा, चोरकुनावा, छटोऊ, बिरमोऊ क्यावा, नगऊ माख्टी तथा तहसील कालसी के सवाई, मसराड, मथ्यौ, सिंगोर, रामपुर, गडोल, बाढी, मुन्धान, लटोक जैन्दोऊ, गांगरी, डाबरा, आस्टा, चिटाड़, कुस्यौ, कचटा, लाच्छा दुईना, सिला, बिसोई मुंशीगाँव, लोहारना, लोहारी, ठलीन लूहन, खाडी, सिंगोटा, धिरोई लखस्यार, कैनोटा, सावडा तथा लखवाड़ के आंशिक भाग यानि मजरें ( Hamlets) को ‘नवीन चकराता टाउनशिप क्षेत्र घोषित किया जाए।
टाउनशिप प्रस्तावित सीमांकन
1. टाउनशिप क्षेत्र की सीमा के उत्तर में चकराता छावनी क्षेत्र।
2. पश्चिम में ग्राम ठाणा, ढुंगरा, बिरमोऊ, मसराड, मथ्यौ, ठलीन, लूहन, सावडा एवं लखवाड़ केमुख्य भाग।
3. दक्षिणी में यमुना नदी क्षेत्र।
4. पूर्व में ग्राम चोर कुनावा, छटोऊ, क्यावा, नगऊ, माख्टी, सवाई, जैन्दोऊ, लटोऊ, आस्टा, गांगरौ चिटाड, कचटा, कुस्यो, बाढ़ो, डाबरा, सिंगोर, गडोल, रामपुर मुन्धान, लाच्छा, सिला, दुईना. बिसोई. नागच्यात, लोहारी लोहारना, मुंशीगाँव, थिरोई, सिंगोटा, खाडी लूहन, लखरवार एवं कैनोटा के मुख्य भाग।