जेएनयू के विद्यार्थियों अंशुमन दुबे और अमित कुमार द्विवेदी ने याचिकाएं दायर की थीं। जिस में याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि विश्वविद्यालय के चुनाव समिति ने काउंसलर सीटों की संख्या 55 से घटाकर 46 कर दी है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह लिंगदोह समिति की सिफ़ारिशों के ख़िलाफ़ है, जो प्रत्येक स्कूल या विभाग को छात्र संघ में अपना प्रतिनिधि भेजने की स्वीकृति देती है। इस याचिका के आधार पर जेएनयूएसयू के परिणाम घोषित करने पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।
फिर दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू चुनाव समिति को अनुमति दी कि 6 सितंबर को हुए छात्र संघ चुनाव के परिणाम घोषित कर दिए जाएं। और उसके बाद ही छात्र संघ चुनाव के परिणाम घोषित किए गए। साथ ही अदालत ने जेएनयू को लिंगदोह समिति की सिफ़ारिशों के अनुरूप चुनाव परिणाम को अधिसूचित करने की भी अनुमति दी। देर शाम तक चली मतगणना के बाद स्टूडेंट फैडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की आईशी घोष अध्यक्ष के रूप में चुनी गयीं। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के मनीष जांगिड़ को 1,175 वोटों के अंतर से पराजित किया।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट फैडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फैडरेशन (डीएसएफ) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फैडरेशन (एआईएसएफ), ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। चुनाव समिति की तरफ से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि छात्र संगठनों आइसा, एसएफआई, एआईएसएफ, और डीएसएफ की लेफ्ट यूनिटी ने सभी 4 पदों- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पर जीत दर्ज की है। आइसा के सतीश चंद्र यादव महासचिव पद पर 2,518 मतों से जीते। तो डीएसएफ के साकेत मून ने उपाध्यक्ष पद पर अपना कब्ज़ा जमाया। उन्हें 3,365 वोट मिले। जबकि एआईएसएफ के मोहम्मद दानिश 3,295 वोट लेकर संयुक्त सचिव के पद पर आसीन हुए।