- प्रदीप रावत (रवांल्टा)
देहरादून: प्रदेश में कई स्कूल जर्जर हालत में हैं। 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 1288 स्कूलों भवनों की हालत बेहद खराब है। इन स्कूलों में पढ़ाई के लिए बैठना मौत को दावत देना है। बावजूद, बच्चे इन्हीं स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं। शिक्षा मंत्री को भी इन स्कूलों की बदहाली की जानकारी होगी, लेकिन कभी जहमत नहीं उठाई कि उनके बारे में कोई फैसला लिया जाए।
जिन अधिकारियों पर इन स्कूलों की रिपोर्ट शासन को देने की और बच्चों की सुरक्षा तय करने की है। उनके खिलाफ भी शिक्षा मंत्री ने कभी एक्शन नहीं लिया। अक्सर होता यही है कि जब कोई बड़ी घटना हो जाती है। विभागीय मंत्री से लेकर अधिकारी तक एक्टिव हो जाते हैं। ऐसा ही इस मामले में हो रहा है।
शिक्षा मंत्री एक पहले तक चुप्पी साधे रहे। सीएम धामी के विधानसभा क्षेत्र का मामला होने के कारण उन्होंने तत्काल मामले में एक्शन लिया। पीड़ित परिवार को सहायता राशि देने के साथ ही मजिस्ट्रियल जांच के भी निर्देश दिए। साथ ही प्रदेश के सभी स्कूलों का निरीक्षण करने के भी निर्देश दिए। अब शिक्षा मंत्री ने भी जर्जर स्कूलों को ध्वस्त करने के निर्देश दिए हैं। सवाल यह है कि इससे पहले क्यों इन स्कूलों सुध ली गई?
2021 की रिपोर्ट के अनुसार
जिला | माध्यमिक | प्राथमिक |
अल्मोड़ा | 22 | 108 |
बागेश्वर | 07 | 43 |
चमोली | 09 | 79 |
चंपावत | 07 | 49 |
देहरादून | 01 | 120 |
हरिद्वार | 03 | 48 |
नैनीताल | 16 | 119 |
पौड़ी | 38 | 133 |
पिथौरागढ़ | 24 | 128 |
रुद्रप्रयाग | 15 | 44 |
टिहरी | 17 | 156 |
ऊधमसिंहनगर | 06 | 40 |
उत्तरकाशी | 07 | 49 |
विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने चम्पावत जनपद के पाटी ब्लॉक के राजकीय विद्यालय की घटना पर दुःख व्यक्त करते हुये विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किये। उन्होंने प्रदेशभर में जर्जर हो चुके विद्यालयी भवनों का जनपदवार सर्वे करा कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश उच्चाधिकारियों को दिये हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सके। चम्पावत जिले की पाटी ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय मौनकांडा में शौचालय की छत गिरने से एक छात्र की दुःखद मृत्यु हो गई थी।
जिसकी सूचना मिलते ही विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने सचिव शिक्षा रविनाथ रमन को भविष्य में इस तरह की घटना रोकने के लिये प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रदेशभर में जीर्ण-शीर्ण विद्यालयी भवनों का सर्वे करा कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित की जाय, साथ ही जो भवन मरम्मत योग्य हैं उनकी डीपीआर तैयार कर शीघ्र शासन को प्रस्ताव भेजा जाय। डॉ. रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने उक्त घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दे दिये गये हैं।
शिक्षा विभाग ने मॉनसून को देखते हुए एक लंबा चौड़ा निर्देश जारी किया था, लेकिन उस निर्देश में कहीं भी इन स्कूलों की स्थिति सुधारने की बात नहीं की गई है। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के अनुसार प्रदेश में 580 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जो जर्जर स्थिति में हैं। इसके साथ ही 500 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय भी इसी स्थिति में बने हुए हैं। शिक्षा विभाग हर साल स्कूलों के मरम्मतीकरण के नाम पर करोड़ों का खर्च करता है। विभाग की लापरवाही का परिणाम एक बच्ची को जान गंवानी पड़ी।